JK Assembly Elections: जम्मू-कश्मीर में चुनावों से पहले सेना अपने सैनिकों को नियंत्रण रेखा (एलओसी) बाड़े के साथ-साथ ऊंचे इलाकों में अस्थायी संचालन ठिकानों (टीओबी) के साथ-साथ जंगलों और पहाड़ों में फिर से तैनात हो रहे हैं। इनका मकसद सीमा पार से घुसपैठ-रोधी ग्रिड को और मजबूत करना है। सेना के अधिकारियों ने कहा है कि सीमा पर चौकसी के बीच एलओसी में गहन तलाशी अभियान चलाए जाएंगे।
तीनों स्तरों पर सैनिकों की इस तैनाती का उद्देश्य आतंकवादियों के ठिकानों को नष्ट करके उन्हें अस्थिर करना है। सेना मकसद है कि किसी भी कीमत पर आतंकियों को आबादी वाले केंद्रों तक पहुंचने से रोकना है। 18 सितंबर को होने वाले पहले चरण के चुनाव के लिए केंद्रीय सशस्त्र अर्धसैनिक बलों की लगभग 300 अतिरिक्त कंपनियां तैनात की गई हैं, और इन्हें बूथों, उम्मीदवारों और मतदान करने वाली आबादी की सुरक्षा के लिए कस्बों और दूरदराज के इलाकों में तैनात किया जाएगा।
LOC में बढ़ेगी चौकसी
सेना आबादी वाले केंद्रों से दूर रहेगी। खास बात यह है कि जम्मू क्षेत्र में असम राइफल्स का एक सेक्टर भी शामिल किया जा रहा है। सूत्रों ने बताया कि इस अभ्यास के तहत सेना गहन तलाशी अभियान चलाएगी, जबकि बड़े पैमाने पर खोजो और नष्ट करो अभियान चलाए जाएंगे। सूत्रों ने बताया कि पर्यटकों को कुछ विशेष स्थानों विशेषकर LOC के पास वाली उत्तरी कश्मीर के वन क्षेत्रों में जाने की अनुमति अस्थायी रूप से नहीं दी जाएगी।
बता दें कि नियंत्रण रेखा के बाड़े और स्थायी संचालन ठिकानों पर साल भर तैनाती रहती है लेकिन चुनाव के इस दौर में इसे और सख्त किया जा रहा है। सुरक्षा को लेकर तैयारियों के तहत रूट ओपनिंग पार्टियां भी अभियान को आगे बढ़ाएंगी और आबादी वाले इलाकों और सड़कों पर मोबाइल वाहनों सहित और भी चेक पोस्ट बनाए जाएंगे। सेना द्वारा निगरानी बढ़ाने और इलाके पर नियंत्रण के लिए ड्रोन तैनात किए जाएंगे। ओवरग्राउंड कार्यकर्ताओं की गतिविधियों के संबंध में निगरानी पहले ही बढ़ा दी गई है।
आतंकी छिपकर बोल सकते हैं बड़ा हमला
एक अधिकारी ने स्वीकार किया कि अभियान की बढ़ी हुई गति को देखते हुए उन्हें आगामी चुनावों से पहले और उसके दौरान ही चलाया जाएगा और आतंकियों के खिलाफ सख्त एक्शन लिया जाएगा। खुफिया रिपोर्टों से पता चला है कि आतंकवादी चुनावी गतिविधियों को बाधित करने के लिए गुप्त घटनाओं को अंजाम दे सकते हैं, जिससे सुरक्षा बल बड़े स्तर पर कोई प्रतिक्रिया न दे सके। सूत्रों ने यह भी बताया कि सुरक्षा बलों ने चुनाव के दौरान उत्पन्न होने वाली विभिन्न स्थितियों से निपटने के लिए अपनी प्रतिक्रिया रणनीति तैयार कर ली है।
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पिछले कुछ महीनों में बढ़ी हैं आतंकी घटनाएं
गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर में पिछले कुछ महीनों में आतंकी हमलों की बाढ़ आ गई है, जिसके परिणामस्वरूप सुरक्षा बल के जवान हताहत हुए हैं। इंडियन एक्सप्रेस ने पिछले महीने रिपोर्ट की थी कि इन हमलों में आम बात यह है कि इनमें से ज़्यादातर हमले पीर पंजाल रेंज के दक्षिणी इलाकों में हुए हैं।
इन हमलों में सबसे आम बात यह है कि आतंकवादियों के पास एन्क्रिप्टेड संदेश भेजने के लिए बेहतर संचार उपकरण और आधुनिक राइफलें हैं, वे मनोवैज्ञानिक और शारीरिक रूप से बेहतर प्रशिक्षित हैं और ऐसा लगता है कि वे नशीले पदार्थों का व्यापार भी करते हैं।