हरियाणा के विधानसभा चुनाव में पूरे दमखम के साथ चुनाव लड़ रही जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) को जबरदस्त झटका लगा है। गुरुवार को जेजेपी के कई नेताओं ने उसका साथ छोड़ दिया। पार्टी छोड़ने वाले नेताओं में पूर्व प्रदेश महासचिव से लेकर पार्टी की लीगल सेल तक के पदाधिकारी शामिल हैं। लोकसभा चुनाव के दौरान और उसके बाद से ही बड़ी संख्या में नेता और कार्यकर्ता जेजेपी छोड़कर जा चुके हैं।

2018 में बनी जेजेपी ने हरियाणा में अपने पहले विधानसभा चुनाव में जोरदार प्रदर्शन किया था और 10 सीटों पर जीत हासिल की थी। लेकिन इस बार नेताओं की लगातार भगदड़ का सामना कर रही जेजेपी के सामने सवाल यह है कि वह इस चुनाव में कितनी सीटें हासिल कर पाएगी?

इसके अलावा उसके सबसे बड़े नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला को अपने विधानसभा हलके उचाना कलां में लगातार विरोध का सामना करना पड़ रहा है। जबकि पिछली बार दुष्यंत ने यहां से हरियाणा की राजनीति के दिग्गजों में शुमार पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह की पत्नी प्रेमलता को हराया था।

दुष्यंत चौटाला को किसान आंदोलन के दौरान और उसके बाद भी किसानों की नाराजगी का सामना करना पड़ा है। इस साल मार्च में बीजेपी ने जेजेपी को तगड़ा झटका दिया और बिना बताए ही गठबंधन तोड़ दिया।

जिन नेताओं ने पार्टी छोड़ी है उनमें पूर्व प्रदेश महासचिव और अहीरवाल की बावल विधानसभा सीट से चुनाव लड़ चुके श्याम सुंदर सभरवाल, रेवाड़ी के पूर्व शहरी प्रधान टेकचंद सैनी, रेवाड़ी सैनिक प्रकोष्ठ के पूर्व जिला प्रधान कैप्टन पूर्ण सिंह चौहान, एडवोकेट अरुण यादव, एडवोकेट लक्ष्मण सिंह सहित कई नेता शामिल हैं। ये सभी नेता कांग्रेस में शामिल हो गए हैं।

हरियाणा का राजनीतिक माहौल देखने के बाद यह साफ नजर आता है कि राज्य के अंदर बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधा और कड़ा मुकाबला है। लेकिन कुछ सीटों पर छोटे दल भी चुनाव में ताल ठोक रहे हैं।

सभी सीटों पर जब्त हुई जमानत

लोकसभा चुनाव 2024 में जेजेपी का प्रदर्शन बेहद खराब रहा। पार्टी ने हरियाणा की सभी 10 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ा लेकिन उसका कोई भी उम्मीदवार जमानत तक नहीं बचा सका। दुष्यंत चौटाला की मां और बाढ़डा से वर्तमान विधायक नैना चौटाला को हिसार लोकसभा सीट पर लगभग 22000 वोट ही मिले थे। निश्चित रूप से पार्टी के खराब प्रदर्शन का असर कार्यकर्ताओं के मनोबल पर पड़ा है।

जेजेपी को लोकसभा चुनाव 2024 में मिले वोट

लोकसभा सीट मिले वोट
भिवानी-महेंद्रगढ़15,265 
हिसार22032
गुरुग्राम13,278 
सिरसा20,080 

पार्टी के विधायकों के साथ ही लोकसभा चुनाव से पहले और उसके बाद भी बड़ी संख्या में कई नेता और कार्यकर्ता उसका साथ छोड़कर चले गए। इस बार दुष्यंत चौटाला की मां नैना चौटाला भी विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ रही हैं जबकि दुष्यंत चौटाला के भाई दिग्विजय चौटाला सिरसा जिले की डबवाली सीट से चुनाव मैदान में हैं।

आसपा के साथ किया गठबंधन

पिछले चुनाव में भले ही जेजेपी ने 10 सीटें जीती हैं लेकिन पार्टी के पास अब सिर्फ तीन ही विधायक बचे हैं। लोकसभा चुनाव में बेहद खराब प्रदर्शन के बाद जेजेपी ने माहौल को भांपते हुए इस बार नगीना से सांसद चंद्रशेखर आजाद की पार्टी आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के साथ चुनावी गठबंधन किया है।