प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के झारखंड में प्रस्तावित एक कार्यक्रम में स्थानीय प्रशासन को विरोध का डर सता रहा है। ऐसे में प्रशासन ने कार्यक्रम-स्थल के लिए कई तरह की गाइडलाइंस तैयार की हैं। 5 जनवरी को पलामू में होने वाली रैली को देखते हुए प्रशासन ने तमाम काली ड्रेस, पर्स, मफलर और यहां तक कि काले रंग के रुमाल को भी बैन कर दिया है। यदि किसी शख्स के पास काले रंग का कोई भी कपड़ा मिला तो उसे रैली-स्थल पर प्रवेश नहीं मिलेगा। पलामू के एसपी इंद्रजीत महता ने इस संबंध में 29 दिसंबर को ही निर्देश जारी कर दिए हैं।

पलामू के एसपी ने तो अपने आदेश में मोजे और जूते तक बैन करने के लिए कहा था। हालांकि, सूत्रों के मुताबिक इस कदम की आलोचना होने के बाद पुलिस ने काले जूतों से प्रतिबंध हटा लिया है। एसपी ने अपने आदेश में लातेहार, गढ़वा, चत्रा और पलामू के डिप्टी कमिश्नर को लिखा है, “प्रधानमंत्री 5 जनवरी को जिला का दौरा करने वाले हैं। जो भी प्रधानमंत्री के कार्यक्रम में शिरकत करने आएगा, उसे पहले से सूचित किया जाए कि वह काले रंग का कपड़ा पहनकर न आए। सभी को अपना पहचान पत्र लाना आवश्यक होगा।” एसपी ने कहा है कि उन्होंने यह प्रतिबंध अतिथियों के सम्मान के लिए लगाया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि काले रंग के जूतों पर बैन नहीं है।

सूत्रों का कहना है कि प्रशासन ने यह आदेश कॉन्ट्रैक्ट टीचरों के बढ़ते विरोध को देखते हुए दिया है। पिछले महीने ही कॉन्ट्रैक्ट टीचरों ने अपना विरोध दर्ज कराने के लिए रांची के एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री रघुबर दास को काले झंडे दिखाए थे। इनकी मांग है कि इन्हें नौकरी में नियमित किया जाए और सरकारी अध्यापकों के बराबर ही इनकी भी तनख्वाह तय की जाए। जिला प्रशासन इस बाबत अध्यापक संगठनों से भी बातचीत की है। कॉन्ट्रैक्ट टीचरों से जुड़े तमाम संगठनों ने प्रशासन को किसी भी तरह का हंगामा खड़ा नहीं करने का आश्वासन दिया है।