झारखंड के गोड्डा जिले में इस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (ECL) की राजमहल की लालमटिया कोयला खदान में गुरुवार (29 दिसंबर) को देर शाम मिट्टी धंसने की दुर्घटना में 12 लोगों की मौत हुई। माना जा रहा है कि अभी खदान के अंदर और बॉडी भी फंसी हो सकती हैं। ऐसे में इंडियन एक्सप्रेस को बलेश्वर नाम के शख्स मिले। 50 साल के बलेश्वर के बेटे कुलेश्वर की भी खदान के धंसने से मौत हो गई। बलेश्वर ने बताया कि उनका बेटा कुलेश्वर कुल 22 साल का था। जिसकी शादी हो चुकी थी और आठ महीने का एक बेटा भी था। कुलेश्वर ने अपने बेटे को याद करते हुए कहा, ‘कल साल का पहला दिन है, उसके घर जाता। नए साल पर उसके साथ होता।’

बलेश्वर ने बताया कि वह 18 महीने पहले ही अपने बेटे के पास आए थे। वह भी उसी खदान में काम करने लगे थे। बलेश्वर ने बताया कि कुलेश्वर खदान में बुलडोजर ऑपरेटर का काम किया करता था। जिस दिन हादसा हुआ उस दिन कुछ घंटे पहले तक बलेश्वर अपने बेटे के साथ ही थे। तब ही उनके सुपरवाइजर ने उन्हें डंपर लेकर दूसरी किसी जगह जाने के लिए कहा। इसी बीच हादसा हो गया। कुलेश्ववर के मुताबिक, खदान धंसने की शुरुआत उस दिन काफी पहले से हो चुकी थी। दो बार लोगों को अलर्ट भी किया गया था लेकिन फिर भी थोड़ी बहुत मरम्मत के बाद काम चालू रखने को कहा गया।

अब खदान में काम करने वाले काफी लोग आरोप लगा रहे हैं कि वहां उनकी हालत काफी खराब थी और उन्हें आराम करने के लिए वक्त भी नहीं दिया जाता था। कुछ लोगों ने यह भी कहा है कि टारगेट पूरा करने के चक्कर में उन लोगों से लगातार काम करवाया जाता था। हालांकि, ECL के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर आर आर मिश्रा ने इन सभी बातों को नकार दिया।