जिले के सुलतानगंज समेत भागलपुर के गंगा नदी घाट गेरुआ वस्त्रधारियों के बिना सूना पड़ा है। कोरोना की वजह से सावन में सदियों से लगने वाला कांवर मेला इस साल नहीं लगेगा। झारखंड हाई कोर्ट ने देवघर बाबा बैद्यनाथ और वासुकीनाथ धाम में कांवड़ यात्रा की इजाजत देने से शुक्रवार को इनकार कर दिया। झारखंड सरकार ने पहले ही भक्तों के लिए मंदिर खोलने पर पाबंदी लगा रखी थी।

गोड्डा के भाजपा सांसद निशिकांत दुबे चाहते हैं कि श्रद्धालुओं के लिए सावन में मंदिर खोला जाए और कांवड़ यात्रा कोरोना नियमों का पालन करते हुए हो। इसके लिए उन्होंने झारखंड हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका भी दायर की थी। जिसपर शुक्रवार को हाई कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए सरकार के आदेश को बरकरार रखा और ऑनलाइन बाबा बैद्यनाथ के दर्शन कराने का इंतजाम करने को कहा है।
बिहार सरकार ने भी सुलतानगंज में मेला आयोजित करने पर रोक लगाई है। धार्मिक न्यास बोर्ड की बैठक में भी सावन में शिवालयों में किसी तरह की पूजा-पाठ, जलाभिषेक पर रोक लगाई है।

पटना के ज़िलाधीश कुमार रवि और सारण के डीएम सुब्रत कुमार सेन ने भी आगामी चार अगस्त तक शिवालयों को बंद रखने का आदेश जारी किया है। साथ ही श्रद्धालुओं से गुजारिश की है कि घरों से ही बाबा का ध्यान कर जल अर्पित करें। कोविड 19 का प्रकोप राज्य में तेजी से फैल रहा है।

भागलपुर के सुलतानगंज से देवघर 105 किलोमीटर और वहां से 60 किलोमीटर वासुकीनाथ की यात्रा करने पर पाया कि जिन रास्तों पर हरेक साल दुकानें, कांवड़ियों के लिए सेवा शिविर, सफाई और इलाका जगमग होता था, वह सुनसान पड़ा है। सुलतानगंज की उत्तरवाहिनी गंगा नदी से 50 लाख श्रद्धालु हरेक साल कांवड़ में जल भर पैदल कष्टप्रद यात्रा कर द्वादश ज्योर्तिर्लिंग बाबा बैद्यनाथ का जलाभिषेक करते हैं।

इस साल यह सिलसिला थम गया। यह रास्ता जहां गेरुआ बाना पहने लाखों श्रद्धालुओं के बोल बम के जैकारे से गुंजायमान होता था। वह रास्ता वीरान है। कोरोना ने सब कुछ रोक दिया है। शाम के बाद तो घटाटोप अंधेरा भुतहा रास्ता जैसा लगता है। इक्की-दुक्की गाड़ियों की हॉर्न ही सन्नाटे को तोड़ती है।

देवघर की उपायुक्त नैनसी सहाय सरकार और रांची हाईकोर्ट के आदेश के बाद बाबा बैद्यनाथ मंदिर इलाके का मातहत अधिकारियों व पुलिस के आलाधिकारियों के साथ मुआयना किया है। शिवगंगा व मंदिर जाने के रास्तों को बांस-बल्लियों से घेरने का काम वहां चल रहा है। ताकि बाहर से कोई श्रद्धालु वहां पहुंच शिवगंगा में न स्नान करें और न ही मंदिर इलाके में प्रवेश कर पाए। बाबा की सरकारी पूजा के अलावे किसी को पूजा करने की इजाजत नहीं है। इसके लिए पुलिस बल चारों ओर से चप्पे-चप्पे पर मजिस्ट्रेट के साथ तैनात किए गए हैं। देवघर में प्रवेश से लेकर मंदिर के रास्तों पर नाके बनाए गए हैं।

उपायुक्त बताती है कि पुलिस और मजिस्ट्रेट की पाली बनाई गई है। मसलन नाका किसी हाल में ढीला न छोड़ा जाए। बल्कि दूसरे राज्य की गाड़ियों को भी रोक कर पूछताछ की जा रही है। जबकि भारत सरकार ने अनलॉकडाउन-1 में ही एक राज्य से दूसरे राज्य जाने के लिए किसी तरह के पास लेने की जरूरत से मुक्त कर दिया है।

बाबा मंदिर धर्मरक्षणी सभा के महामंत्री कार्तिक ठाकुर हाईकोर्ट के फैसले पर खुशी जाहिर की है। कहा है कि यह जनहानि को रोकने का निर्णय है। जनहित याचिका में धर्मरक्षणी सभा भी एक मुदालय है। वे कहते है आर्थिक क्षति की पूर्ति हो सकती है। मगर आदमी के नुकसान की भरपाई नहीं हो सकती। देवघर शहर भी बेरौनक है। इनदिनों भक्तिभाव के गानों और कांवड़ियों की गहमागहमी से एक हद तक अटा रहने वाला शहर कोरोना के भय से गुमसुम है। व्यापारी विजय कुमार शर्मा बताते है कि सब फीका-फीका है। लगता ही नहीं कि सावन है। मध्यमवर्गीय परिवारों की कमर टूट सी गई है। इनकी विडंबना देखिए इनके पास कुछ है नहीं। सरकार को भी इनकी सुध नहीं। और कोई इनकी मदद भी नहीं करता। और करे भी तो इनका स्वाभिमान इन्हें रोक देता है।

लेकिन सामाजिक सेवक संजय भारद्वाज, शिवकुमार मिश्रा, शोभन नरोने, सुनील मिश्रा चाहते है कि स्थानीय लोगों को कम से कम सावन की सोमवारी को जलाभिषेक की इजाजत मिलनी चाहिए। देवघर में कई लोग ऐसे है जो सावन में बाबा का जलाभिषेक कर ही अन्न-जल ग्रहण करते है। ऐसा इनलोगों ने बताया। मगर कोरोना ने जब सदियों पुरानी कांवड़ यात्रा ही रोक दी और पूजाअर्चना की मनाही हो गई तो बाकी कुछ नहीं बचा। ऑनलाइन दर्शन कीजिए और बोल बम का जयकारा घर से ही लगाइए।