आर्थिक सुस्ती के बीच ऑटोमोबाइल सेक्टर की स्थिति किसी से छुपी नहीं है। झारखंड के ऑटो हब जमशेदपुर में भी सैकड़ों लोगों को अपनी नौकरी गंवानी पड़ी है। ऐसे में राज्य में हो रहे विधानसभा चुनाव में सत्ताधारी भाजपा को भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।
शनिवार को राज्य में दूसरे चरण के लिए होने वाले 20 सीटों पर मतदान में जमशेदपुर के आसपास की सीटों पर ऑटो सेक्टर की सुस्ती भी भाजपा को चुनावी टक्कर दे सकती है। टाटा शहर के रूप में मशहूर जमशेदपुर में ऑटो के कलपुर्जे बनाने वाली कई सहायक इकाइयों में उत्पादन घटने से सैंकड़ों लोगों के अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा है।
मांग घटने के कारण अकुशल श्रमिक इस आर्थिक सुस्ती के सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं। उद्योग से जुड़े लोगों का कहना है कि करीब 800 सहायक इकाइयां टाटा मोटर्स और टाटा स्टील पर आश्रित हैं। इस क्षेत्र में दोनों इकाइयां आर्थिक गतिविधियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
जुलाई-सितंबर की तिमाही में टाटा मोटर्स ने कहा था कि मध्यम व भारी वाणिज्यिक वाहनों की मांग में कमी और ऑपरेटिंग लीवरेज के नुकसान से उसका प्रॉफिट प्रभावित हुआ है। टाटा मोटर्स पर आश्रित सहायक इकाइयां कंपनी के लिए कई कलपुर्जे जैसे ब्रेक कंपोनेंट, सस्पेंशन, एक्सल, इलेक्ट्रिकल पार्ट्स, बॉडी और चेसिस जैसी कई अन्य चीजें बनाती हैं।
घाटशीला, पोटका, खरसवान, सरायकेला, चाइबासा कम से कम पांच विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं जहां से मजदूर दैनिक काम के लिए जमशेदपुर जाते हैं। हालांकि, जमशेदपुर पूर्व के स्थानीय विधायक रघुबर दास की भाजपा सरकार के खिलाफ नाराजगी है, लेकिन काम की तलाश करने वालों से यह स्पष्ट नहीं है कि क्या उनका गुस्सा चुनाव में दिखेगा।
खरसवान से काम की तलाश में आने वाले पुरुषोत्तम लोहार का कहना है कि पेट में कुछ रहेगा तब ना वोट देंगे। पुरुषोत्तम पिछले चार महीने से बेरोजगार हैं। पुरुषोत्तम की तरह ही सैकड़ों पुरुष व महिलाएं हैं जो जमशेदपुर में दैनिक मजदूरी की तलाश में आते हैं। पीएम नरेंद्र मोदी यहां 2 दिसंबर को एक चुनावी सभा को यहां संबोधित कर चुके हैं। जानकारों का मानना है कि आर्थिक सुस्ती का असर यहां के चुनाव पर भी पड़ेगा।