चंपई सोरेन ने आखिरकार JMM छोड़ दी है। वह 30 अगस्त को बीजेपी में शामिल हो जाएंगे। दो दिन पहले अमित शाह से मुलाकात के बाद असम के सीएम हिमंत सरमा ने जानकारी दी थी कि वो बीजेपी की सदस्यता लेंगे। मंगलवार को खुद चंपई सोरेन ने बीजेपी का रुख करने की वजह बताई थी। आज उन्होंने JMM की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। अपने इस्तीफे में उन्होंने शिबू सोरेन से कहा कि पार्टी रास्ते से भटक चुकी है और ऐसा कभी सोचा था कि JMM से इस्तीफा देना पड़ेगा।
सीएम पद से हटाए जाने के बाद जब चंपई सोरेन ने अपने सारे पत्ते खुलकर स्पष्ट किए थे, तब हेमंत सोरेन कैंप की तरफ से आए पहले रिएक्शन में कहा गया था कि यह हमारे लिए ग्रेट न्यूज है क्योंकि चंपई सोरेन अब एक्पोज हो चुके हैं। अगर वह निर्दलीय चुनाव लड़ते हो हमारे लिए कठिनाई होती क्योंकि वो जेएमएम के वोट शेयर में सेंध लगा सकते थे।
हालांकि राज्य के सियासी घेरों की बात करें तो यहां चंपई सोरेन के बीजेपी में जाने पर मिलीजुली प्रतिक्रिया आ रही है। कुछ नेताओं का मानना है कि यह जेएमएम को नुकसान पहुंचाएगा क्योंकि चंपई सोरेन पूरी कोल्हान डिवीजन में अकेले प्रभावशाली नेता हैं। इस डिवीजन में तीन जिले – पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम और सरायकेला-खरसावां शामिल हैं। यहां कुल 14 विधानसभा सीटें हैं।
रांची में एक नेता ने कहा, “मेरी राय में चंपई का अकेले इलेक्शन लड़ना ज़्यादा समझदारी भरा होता। इस तरह से उन्हें आदिवासियों के बीच ज़्यादा समर्थन मिलता, जो इस समय बीजेपी के पक्ष में नहीं हैं। हालांकि, हिमंत सरमा विधानसभा चुनावों में BJP के नैरेटिव को आगे बढ़ाने के लिए चंपई सोरेन का इस्तेमाल करेंगे, जो मौजूदा JMM गठबंधन द्वारा आदिवासी बहुल संथाल परगना क्षेत्र में कथित बांग्लादेशी घुसपैठियों के तुष्टिकरण के खिलाफ है।”
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BJP द्वारा बनाई रणनीति पर काम करेंगे चंपई
हिमंत द्वारा चंपई सोरेन के बीजेपी में शामिल होने की घोषणा के बाद यह बात पुष्ट हो गई। इसके बाद चंपई ने अपने X पोस्ट में बांग्लादेशी घुसपैठ की बात भी की। उन्होंने कहा कि इस बारे में सिर्फ बीजेपी सीरियस दिखाई दे रही है औऱ अन्य दल वोटों की खातिर इसे इग्नोर कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “संथाल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठ बहुत बड़ी समस्या बन चुका है। इस से दुर्भाग्यपूर्ण क्या हो सकता है कि जिन वीरों ने जल, जंगल व जमीन की लड़ाई में कभी विदेशी अंग्रेजों की गुलामी स्वीकार नहीं की, आज उनके वंशजों की जमीनों पर ये घुसपैठिए कब्जा कर रहे हैं। इनकी वजह से फूलो-झानो जैसी वीरांगनाओं को अपना आदर्श मानने वाली हमारी माताओं, बहनों व बेटियों की अस्मत खतरे में है।”
बीजेपी सूत्रों का कहना है कि बीजेपी के नैरेटिव के चंपई ने समर्थन किया है। बीजेपी उनके साथ आदिवासियों के लिए रिजर्व कम से कम 10 एसटी सीटें जीतना चाहती है। राज्य में कुल 81 विधानसभा सीटों में से 28 आदिवासियों के लिए रिजर्व हैं। JMM सूत्रों ने चंपई के BJP में शामिल होने की वजह कुछ मामलों के सिलसिले में केंद्रीय एजेंसियों द्वारा उन पर डाले जा रहे “बढ़ते दबाव” को बताया है।
झारखंड मुक्ति मोर्चा का क्या कहना है?
जेएमएम के एक नेता ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि चंपई का अपमान संबंधी पोस्ट सिर्फ एक तमाशा था। वो एक्सपोज हो चुके हैं, कभी बीजेपी नेता हेमंत सोरेन की जगह उनके सीएम बनने पर मजाक उड़ा रहे थे। उन्होंने यह भी कहा कि चंपई विधानसभा चुनाव में अपने बेेटे के लिए टिकट चाहती थी, जो जेएमएम नहीं देती। वह जन नेता भी नहीं हैं और उनके लिए लोगों का समर्थन जुटाना भी आसान नहीं था। उनके बीजेपी में शामिल होने की एकमात्र वजह यह है कि उन्हें एक संगठन का समर्थन और आसानी से फंड उपलब्ध होगा।
वहीं जेएमएम के एक विधायक ने माना कि कोल्हान बेल्ट में उनके प्रभाव को नाकारा नहीं जा सकता है। उन्होंने कहा कि चंपई कोल्हान में 30-35 सालों से काम कर रहे हैं। अगर इस इलाके में किसी को समस्या होती है तो चंपई दादा उसके पास जाते हैं। वह वहां की विधानसभाओं में कई लोगों को जानते हैं और उनकी भावनात्मक स्पीच से लोकल आदिवासी कनेक्ट करते हैं। जेएमएम को उनके खिलाफ यूज किए जाने वाले शब्दों का सावधानी से चयन करना चाहिए क्योंकि हम उन्हें विलेन बनाने की स्थिति में नहीं है।