नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट, जेवर में तैयार हो रहा एक प्रमुख प्रोजेक्ट है, जहां शुक्रवार से पहली बार ट्रायल उड़ानों की शुरुआत हो रही है। एयरपोर्ट का रनवे 3900 मीटर लंबा बनाया गया है। यह इसे विशेष बनाता है और आधुनिक विमानों की लैंडिंग के लिए उपयुक्त बनाता है। इस ट्रायल में इंडिगो और अकासा एयरलाइंस के विमान शामिल होंगे, और हर दिन इनके लैंडिंग डेटा की रिपोर्ट डीजीसीए को भेजी जाएगी। 15 दिसंबर तक 90 लैंडिंग की टेस्टिंग होगी, जिसके बाद पूर्ण ट्रायल शुरू करने के लिए 25 नवंबर तक डीजीसीए की मंजूरी मिलने की संभावना है। रनवे पर हाईटेक उपकरण लगाए गए हैं।
फरवरी से टिकटों की बुकिंग, अप्रैल से करें यात्रा
फरवरी 2025 से एयरपोर्ट की टिकट बुकिंग शुरू होगी, जबकि संचालन अप्रैल 2025 से आरंभ होगा। एयरपोर्ट के पहले चरण में 1334 हेक्टेयर भूमि पर विकास हो रहा है, जिसमें रनवे, टर्मिनल बिल्डिंग और एटीएस टावर शामिल हैं। 50 हजार करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से चार चरणों में एयरपोर्ट का निर्माण पूरा होगा, जो इसे एशिया का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण हवाई अड्डा बना देगा।
नोएडा एयरपोर्ट की शुरुआत के साथ दुबई, ज्यूरिख और सिंगापुर के लिए अंतरराष्ट्रीय उड़ानें शुरू होंगी। यह भारत का पहला ऐसा एयरपोर्ट होगा जहां छह रनवे होंगे, जिससे यह अत्यधिक यात्री क्षमता को संभाल सकेगा। इसके अलावा, यहां 186 विमान एक साथ खड़े हो सकेंगे।
एयरपोर्ट पर यात्रियों की सुविधा के लिए सस्ती टिकट दरें रखी जाएंगी, ताकि हर वर्ग का व्यक्ति अपने हवाई यात्रा के सपने को पूरा कर सके। अनुमान के अनुसार, एयरपोर्ट से हवाई टिकटों की कीमत औसतन 400 रुपए तक हो सकती है, जो इसे अधिक सुलभ बनाएगा। इसके अलावा, एयरपोर्ट के आस-पास आवश्यक सुविधाएं, जैसे अस्पताल, होटल, और पेट्रोल पंप भी उपलब्ध कराए जाएंगे।
इस परियोजना का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा किया गया था, और अब इसे तेजी से पूरा करने की दिशा में काम हो रहा है। नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट कोड ‘DXN’ से जाना जाएगा, जो इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्रदान करेगा। इस एयरपोर्ट की योजना न केवल भारत के यात्री यातायात को सुविधाजनक बनाएगी, बल्कि इसके आसपास के क्षेत्र के आर्थिक विकास में भी सहायक सिद्ध होगी।
इस एयरपोर्ट पर उच्च-स्तरीय सुरक्षा और अत्याधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिसमें इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम (ILS) भी शामिल है, जिससे खराब मौसम में भी विमानों की सुरक्षित लैंडिंग सुनिश्चित की जा सकेगी।