आर्थिक संकट के चलते अपनी सभी नेशनल और इंटरनेशनल फ्लाइट्स की सभी उड़ाने बंद करने के बाद सबसे बड़ा संकट जेट एयरवेज के इम्प्लॉयी पर है। जेट की तबाही से सैंकड़ों परिवार बिखरने के कगार पर हैं। विमानन कंपनी के इम्प्लॉयी इसी का विरोध करने गुरुवार को जंतर-मंतर पर एकत्रित हुए। हाथों में अलग-अलग स्लोगन के साथ शांतिपूर्ण तरीके से विरोध कर रहे ये इम्प्लॉयी अंदर से बेहद अशांत हैं। विरोध प्रदर्शन में शामिल जेट एयरवेज में इंजीनियर के पद पर काम कर रहे राकेश कुमार कोहली ने जिनकी एक बेटी जन्म से ही दिव्यांग है और संगीता मुखर्जी अपने पति के साथ विरोध प्रदर्शन में शामिल हुईं।
संगीता के पति जेट एयरवेज में इंजीनियर के पद पर काम करते हैं। उनकी मां कैंसर की बीमारी से पीड़ित हैं और दिल्ली के एम्स अस्पताल में जिंदगी और मौत की जंग लड़ रही हैं। जेट एयरवेज ने अपने कई इम्प्लॉयी के पद घटा दिए हैं। इस संकट की वजह से जंतर-मंतर पर इम्प्लॉयी के चेहरे डर, पीड़ा, क्रोध और आंसू दिखाई दिए।विमानन कंपनी में ट्रांसपोर्ट ट्राली के टायर बदलने का काम करने वाले कोहली ने कहा कि ‘अगर चल जाए तो बहुत अच्छी बात है। मैं कंपनी के साथ तब से काम कर रहा हूं जब कंपनी के सिर्फ तीन विमान उड़ान भरते थे उस समय में मुझे 4,400 रुपए सैलरी मिलती थी और अब मुझे 3600 रुपए सैलरी मिल रही थी। मेरा एक लड़का और दो लड़की है जिनमें से एक दिव्यांग है। मैंने अपनी बेटी के इलाज के लिए 4.30 लाख रुपए का लोन लिया है।’
वही संगीता ने कहा कि ‘मैं अपने बेटे जो कि 10वीं कक्षा में पढ़ रहा है उसकी फीस तक नहीं दे पा रही हूं। अपने पति के साथ प्रदर्शन में शामिल होने से पहले मैं एम्स में थी जहां मेरी मां कैंसर से लड़ रही है। सरकार सिर्फ हमें जबतक चुनाव चल रहे हैं तबतक आश्वासन देती रहेगी और इसके बाद कंपनी बंद हो जाएगी। प्रदर्शन में शामिल ज्यादात्तर लोगों ने कहा कि कंपनी की सेवाएं प्रभावित होने से उन्हें गंभीर संकटों का सामना करना पड़ रहा है।
जेट एयरवेज में 23 साल से नौकरी कर रहे जॉन (59) ने कहा ‘मैं परिवार में अकेला नौकरी करता हूं, जनवरी से मुझे सैलरी नहीं मिली है। मेरे दो बच्चे हैं, जो अभी नौवीं कक्षा में गए हैं। और हमारी सरकार सिर्फ बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ की बात करती है।’ वहीं अनुराग शर्मा (45) ने कहा कि ‘हम किसी और विमानन कंपनी में नौकरी के लिए आवेदन नहीं कर सकते क्योंकि हमारे पास बोइंग एयरक्राफ्ट के लिए काम करने का अनुभव है। इसलिए दूसरी कंपनियों में नौकरी पाना मुश्किल है क्योंकि विमानों से जुड़ी समस्याओं को समझने के लिए एक विशेष ट्रेनिंग की जरूरत पड़ती है। और फिर उम्र के इस पड़ाव पर नौकरी बदलना बेहद मुश्किल होता है। वहीं जेट एयरवेज में निचले स्तर के कर्मचारी भी इस संकट से परेशान हैं। विजय मान ने कहा है कि ‘संकट की इस घड़ी में कंपनी हमसे कोई बातचीत नहीं कर रही। मेरे परिवार में 6 सदस्य हैं। कौन रखेगा हमें? मेरा मकान मालिक मुझसे किराया मांग रहा है।’