जेट एयरवेज ने 400 करोड़ का इमरजेंसी फंड नहीं मिलने के बाद आज (बुधवार, 17 अप्रैल) से अपने सभी ऑपरेशंस अस्थाई तौर पर रोक दी है। जेट एयरवेज ने बैंकों द्वारा अतिरिक्त कर्ज का अनुरोध ठुकराने के बाद ये फैसला किया है। जेट के फैसले के मुताबिक एयरवेज की आखिरी फ्लाइट रात 10.20 बजे अमृतसर से मुंबई के लिए भरेगी। इसके बाद उसकी सभी उड़ानें बंद हो जाएंगी।

बता दें कि करीब ढाई दशक पुरानी इस एयरलाइन कंपनी पर 8000 करोड़ रुपये से ज्यादा का बकाया है। कंपनी के बंद होने से करीब 20 हजार लोगों की नौकरी चली जाएगी। इससे इतने ही परिवार प्रभावित होंगे। एयरवेज की तरफ से कहा गया है कि फंड के लिए हर संभव कोशिश की गई लेकिन कोई सकारात्मक हल नहीं निकाला जा सका है। एयरवेज पिछले कुछ महीनों से नकदी संकट से गुजर रही है।  इस वजह से कर्मचारियों को चार महीने से सैलरी नहीं दी गई है। इस संकट के बीच कंपनी के चेयरमैन नरेश गोयल और उनकी पत्नी ने कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स से इस्तीफा दे दिया है। गोयल ने चेयरमैन पद से भी इस्तीफा दे दिया है।

1991 में जेट एयरवेज की शुरुआत करने वाले नरेश गोयल का बचपन कठिनाइयों में गुजरा। जब वो छोटे थे तभी सिर से पिता का साया उठ गया। मां ने ननिहाल में रहकर उनका लालन-पालन किया। गोयल की आर्थिक स्थित इतनी खास्ता थी कि वो मीलों पैदल चलकर स्कूल जाया करते थे। एक सायकिल खरीदने की भी हैसियत नहीं थी। 29 जुलाई, 1949 को पंजाब के संगरूर में जन्मे नरेश गोयल के पिता ज्वैलरी कारोबारी थे। जब वो 11 साल के थे तब उनका घर नीलाम हो गया।

गोयल चार्टर्ड अकाउंटेन्ट बनना चाहते थे लेकिन पैसे के अभाव में उन्हें बी कॉम करना पड़ा था। 1967 में बी कॉम पूरी करने के बाद उन्होंने अपने रिश्तेदार सेठ चरण दास राम लाल की ट्रेवल कंपनी में दिल्ली के कनॉट प्लेस में 300 रुपये की सैलरी पर नौकरी शुरू की थी। कुछ साल तक वहां काम करने के बाद नरेश गोयल ने ट्रेवल इंडस्ट्री की न केवल बारीकियों को समझ लिया था बल्कि तय कर लिया था कि इसी इंडस्ट्र में उन्हें अपनी जिंदगी बितानी है। लिहाजा, छह साल बाद नरेश गोयल ने 1973 में अपनी ट्रेवल एजेंसी खोल ली। उस एजेंसी का नाम रखा था जेट एयर। कंपनी का नाम एयरलाइन्स जैसा रखने पर लोग उनका मजाक भी उड़ाया करते थे लेकिन उन्होंने उसकी परवाह नहीं की और एयरलाइन्स खोलने का फैसला कर लिया।

गोयल का यह सपना 18 साल बाद 1991 में साकार हुआ, जब उन्होंने एयर टैक्सी ली और एयरवेज की शुरुआत की। सालभर के अंदर ही उन्होंने चार एयरक्राफ्ट खरीद लिए और पहली उड़ान शुरू कर दी। उन दिनों प्राइवेट उड़ान की इजाजत नहीं दी जाती थी लेकिन दो साल बाद गोयल को 1993 में कॉमर्शियल उड़ान की इजाजत मिल गई। जेट एयरवेज ने पहली व्यावसायिक उड़ान बोईंग 737-300 प्लेन से शुरू की। धीरे-धीरे जेट एयरवेज का कारोबार बढ़ता गया।

2002 में कंपनी ने शेयर मार्केट में कदम रखा। 2005 में कैपिटल मार्केट में प्रवेश करते हुए गोयल ने कंपनी की 20 फीसदी स्टेक अपने पास रखी जिसका नेट वर्थ 8000 करोड़ रुपये था। कंपनी की आईपीओ जारी होते हुए नरेश गोयल को फॉर्ब्स पत्रिका ने देश का 16वां धनी व्यक्ति घोषित किया था। गोयल ने 2007 में 1450 करोड़ रुपये में एयर सहारा को खरीद लिया। कहा जाता है कि यह नरेश गोयल की सबसे बड़ी गलती थी। एयर सहारा का नाम बदलकर एयर जेटलाइट रखा गया था।

2007 में उनकी कंपनी में 13,000 कर्मचारी थे लेकिन अगले साल 2008 में 2000 लोगों की छंटनी कर दी गई। 2012 के बाद कंपनी पिछड़ने लगी। पहले इसे इंडिगो ने पछाड़ा फिर इसके बाद कंपनी ने यूएई की एतिहाद में भी हिस्सेदारी खरीद ली। 2018 में एयरलाइंस के घाटे के स्वतंत्र निदेशक रंजन मथाई ने भी इस्तीफा दे दिया। आखिरकार 25 मार्च को नरेश गोयल को चेयरमैन पद से इस्तीफा देना पड़ा।