भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर सत्ता छोड़ने के लिए बाध्य हुईं अन्नाद्रमुक सुप्रीमो जयललिता करीब आठ महीने बाद पांचवीं बार तमिलनाडु के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगी। उनके साथ 28 मंत्री भी शपथ लेंगे। घटनाक्रम से भरे दिन में शुक्रवार जयललिता (67) को विधायकों की बैठक में अन्नाद्रमुक विधायक दल का नेता चुना गया। आय से अधिक संपत्ति मामले में कर्नाटक हाई कोर्ट ने 11 दिन पहले जयललिता को बरी कर दिया था।

शपथ ग्रहण समारोह शनिवार सुबह 11 बजे मद्रास विश्वविद्यालय शताब्दी सभागार में होगा। उनके साथ 28 मंत्री भी शपथ लेंगे। जयललिता ने उन पुराने मंत्रियों को बनाए रखा है जो उनके 2011-14 कार्यकाल के दौरान थे। इसमें वित्त मंत्री के रूप में उनके भरोसेमंद ओ पन्नीरसेल्वम, बिजली मंत्री के रूप में एनआर विश्वनाथन, आवास मंत्री के रूप में आर वैद्यलिंगम, पी मोहन शामिल हैं। राजभवन ने मंत्रियों की आधिकारिक सूची जारी की है।

जयललिता के पास गृह, पुलिस, लोक, आम प्रशासन आदि विभाग होंगे। जयललिता सहित कुल 29 लोगों को राज्यपाल के रोसैया शपथ दिलाएंगे। राजभवन ने एक आधिकारिक बयान में कहा कि राज्यपाल ने मंत्रियों के बीच विभागों के आबंटन के संबंध में भावी मुख्यमंत्री की ओर से की गई सिफारिश को स्वीकार कर लिया है।

पार्टी विधायक दल की नेता चुने जाने के बाद जयललिता ने राज्यपाल से मुलाकात की और उन्हें मंत्रिपरिषद में शामिल होने वाले नामों की सूची सौंपी। बैठक के बाद उन्होंने पार्टी संस्थापक एमजी रामचंद्रन और ईवी रामासामी व सीएन अन्नादुरई की प्रतिमाओं पर माल्यार्पण भी किया।

इससे पहले सुबह पनीरसेल्वम, जो पार्टी के कोषाध्यक्ष भी हैं, ने जयललिता को विधायक दल की नेता चुनने का प्रस्ताव पेश किया जिसका बिजली मंत्री एनआर विश्वनाथन ने समर्थन किया। यह प्रस्ताव सर्वसम्मति से स्वीकार किया गया। पार्टी के विधायकों ने इस घोषणा का स्वागत किया और जल्दी ही राज्य के विभिन्न हिस्सों में जश्न शुरू हो गया। जयललिता की दोषसिद्धि के बाद राज्य में कथित तौर पर खुदकुशी की कई घटनाएं हुई थीं। सहकारिता मंत्री सेल्लुर के राजू ने बाद में कहा कि यह हमारी जिंदगी का सर्वाधिक खुशी का दिन है। पनीरसेल्वम ने प्रस्ताव पेश करते हुए जयललिता की तारीफ की और उन्हें अन्नाद्रमुक का ‘स्थायी महासचिव’ बताया। उन्होंने अपनी नेता का जिक्र करते हुए कहा कि ‘सोना तप कर और खरा हो जाता है।’

विपक्षी डीएमडीके के बागी विधायकों आर सुंदरराजन, तमिल अझगन, के पांडियाराजन और आर संथी ने जयललिता के प्रति एकजुटता दिखाते हुए अन्नाद्रमुक पार्टी के विधायक दल की बैठक में भाग लिया।

पनीरसेल्वम के राज्यपाल रोसैया को अपनी कैबिनेट का इस्तीफा सौंपने के बाद राज्यपाल ने उनसे वैकल्पिक व्यवस्था होने तक अपने पद पर बने रहने को कहा। बताते चलें कि पिछले साल 27 सितंबर को बंगलुरु की एक निचली अदालत ने आय से अधिक 66.66 करोड़ रुपए की संपत्ति के मामले में जयललिता को दोषी ठहराया था जिससे वे मुख्यमंत्री पद के लिए अयोग्य हो गई थीं। हालांकि कर्नाटक हाई कोर्ट ने 11 मई को उन्हें इन आरोपों से बरी कर दिया था। राजभवन ने बयान में कहा कि तमिलनाडु के राज्यपाल ने पनीरसेल्वम और उनकी मंत्रिपरिषद का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है।

जयललिता को दोषी ठहराए जाने के दो दिन बाद पनीरसेल्वम ने पिछले साल 29 सितंबर को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। पनीरसेल्वम पिछले साल दूसरी बार मुख्यमंत्री बने थे। इससे पहले 2001 में लगभग इसी तरह की परिस्थितियों में उन्हें मुख्यमंत्री बनाया गया था जब तांसी मामले में दोषी ठहराए जाने पर जयललिता को इस्तीफा देना पड़ा था। पनीरसेल्वम ने छह महीने बाद वर्ष 2002 में शीर्ष अदालत द्वारा जयललिता को बरी किए जाने के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। इस बार पनीरसेल्वम का कार्यकाल करीब आठ माह का रहा।

अन्नाद्रमुक विधायक दल की बैठक से पहले ही राज्य भर से आए पार्टी कार्यकर्ता पार्टी मुख्यालय में बड़ी संख्या में एकत्र होने लगे थे। शहर के विभिन्न भागों में पार्टी कार्यकर्ताओं ने जयललिता की वापसी का स्वागत करते हुए होर्डिंग और पोस्टर लगाए। इन होर्डिंग और पोस्टरों में लिखा गया था, ‘स्वागत है मां (वरुगा थाये)’, ‘धर्म की जीत हुई’। कई पोस्टरों में शेरनी की तस्वीर के साथ जयललिता की फोटो थी।

जयललिता के आवास तक जाने वाले रास्तों में आम के पत्तों के तोरण और पार्टी के झंडे लगाए गए थे। पोएस गार्डन में सुबह से ही एकत्र महिला कार्यकर्ताओं ने मिठाइयां बांटी और पार्टी प्रमुख के लिए रंगोली सजाई। पिछले आठ महीने में जयललिता के पहली बार सार्वजनिक रूप से सामने आने पर हजारों लोगों ने उनका स्वागत किया और उनकी गाड़ी पर फूल बरसाए।