जम्मू कश्मीर के बनिहाल में 17 साल पहले हुई एक हत्या के मामले में फिर से जांच का आदेश एक अदालत ने दिया है। आर्मी कैंप में सेना के जवान की हत्या के मामले में पुलिस ने तफ्तीश के बाद क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी थी। 17 साल के दौरान पुलिस ये भी पता नहीं लगा सकी कि जवान को सेना के किसी जवान या अफसर ने मारा या फिर आतंकी सेना के कैंप में घुसकर वारदात कर गए।
कोर्ट ने क्लोजर रिपोर्ट को खारिज करके पुलिस को हिदायत दी है कि फिर से तफ्तीश करके तीन महीने के भीतर रिपोर्ट दाखिल की जाए। जूडिशियल मजिस्ट्रेट फर्स्ट क्लास मनमोहन कुमार की अदालत ने आदेश जारी किया कि पुलिस किसी बड़े अफसर को बचा रही है। लिहाजा रामबन के एसपी खुद सारी जांच की निगरानी करेंगे।
2006 में ड्यूटी के दौरान हुई थी सिपाही उत्तम राव की हत्या
19 मई 2006 को सुबह तकरीबन 3 बजे सिपाही उत्तम राव को गोली लगी थी। वो उस दौरान 17 आरआर कैंप गुंड तेतर में ड्यूटी कर रहा था। शुरुआती रिपोर्ट में कहा गया कि किसी अज्ञात अधिकारी या अधिकारियों गोली चलाई, जिससे सिपाही की मौत हुई। रिपोर्ट कहती है कि मौके से खून का कोई धब्बा नहीं मिला लेकिन जहां सिपाही ड्यूटी कर रहा था उस कमरे की दीवार में गोली के चार सुराख मिले। यानि गोलियां भीतर से चलाई गई थीं। जवान की लाश गेस्ट हाउस में मिली जबकि मर्डर वेपन दूसरे कमरे से। सेना के कैंप में उस दौरान काफी संख्या में जवान मौजूद थे। लेकिन उनमें से कुछ जवानों ने ही गोली चलने की आवाज सुनी। कई जवान और अफसर घटना से अपना पल्ला झाड़ते भी दिखे।
आतंकियों को भी वारदात के लिए जिम्मेदार मान रही पुलिस
पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में वारदात के लिए आतंकी हमले की भी संभावना जताई, क्योंकि इस इलाके में आतंकी काफी संख्या में सक्रिय रहते हैं। आखिर में जांच अधिकारी ने कहा कि आरोपी की पहचान कर पाना मुश्किल है क्योंकि वारदात को 10 साल बीत चुके हैं।
जज ने माना- पुलिस की जांच में कई सारे झोल, किसी को बचा रहे
जज ने पुलिस की रिपोर्ट को खारिज करते हुए कहा कि इसमें कई सारे झोल हैं। एक तरफ तो वो कह रहा है कि किसी अधिकारी या अधिकारियों ने गोली चलाई। वहीं दूसरी तरफ आशंका जता रहा है कि इसके पीछे आतंकी हरकत भी हो सकती है। लेकिन IO ने ऐसा कोई साक्ष्य नहीं जुटाया जो ये बताता हो कि उस रात कैंप पर आतंकी हमला हुआ था। कोर्ट ने कहा कि FSL रिपोर्ट कहती है कि मौके से जो खोखे मिले वो सिपाही उत्तर राव की रायफल के ही थे। लेकिन पुलिस ने मौके से फिंगर प्रिंट तक नहीं जुटाए।
वारदात के समय अकेला नहीं था उत्तम राव पर नहीं सामने आया कोई साथी
कोर्ट का कहना था कि जांच से लगता है कि पुलिस किसी को बचाने की कोशिश कर रही है। उत्तम राव वारदात के समय कैंप में अकेला नहीं था। लेकिन पुलिस ये भी पता नहीं लगा सकी कि जवान की मौत कैसे हुई। जवान की रायफल से भी फिंगर प्रिंट IO ने नहीं जुटाए। कोर्ट ने कहा कि उसके आदेश की कॉपी एसपी रामबन को भेजी जाए। वो खुद सारे मामले की निगरानी करेंगे।