पश्चिम बंगाल के झाड़ग्राम जिला में एक ट्रेन से टक्कर में तीन हाथियों की मौत हो गई है। इनमें एक मादा हाथी और उसका बच्चा शामिल है।द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, झाड़ग्राम में यह हादसा शनिवार तड़के उस समय हुआ, जब राज्य वन विभाग समर्थित हुला पार्टी झुंड को मानव बस्ती से बाहर निकालने का प्रयास कर रही थी।
रिपोर्ट में बताया गया है कि यह हादसा बांसटाला रेलवे स्टेशन के पास रात करीब 1.45 बजे हुआ, जब हाथियों का झुंड रेलवे ट्रैक क्रॉस कर रहा है। इस झुंड के हाथियों टक्कर खड़गपुर की तरफ जा रही जनशताब्दी एक्सप्रेस से हुई। झाड़ग्राम शहर हादसे वाली जगह से करीब 14 किलोमीटर है।
राज्य की वन मंंत्री बिरबाहा हांसदा ने द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में हादसे पर दुख जताते हुए कहा “यह बेहद दुखद घटना है। मैं बहुत दुखी हूं। एक मादा हाथी, एक बछड़ा और एक अन्य वयस्क हाथी ट्रेन की चपेट में आने से मर गए। मैं जल्द ही घटनास्थल का दौरा करूंगा।”
उन्होंने कहा कि रेलवे के हाथियों की मूवमेंट की जानकारी दी गई थी। उन्होंने कहा, “रात करीब 11 बजे हमने रेलवे को सूचित किया… इसके बावजूद यह घटना घटी। हमने जांच के आदेश दे दिए हैं। उत्तर बंगाल के विपरीत, जहां सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुसार elephant corridors में स्पीड लिमिट लागू है, दक्षिण बंगाल में ऐसे कोई नियम नहीं हैं।”
क्रेन की मदद से हटाए गए मृत हाथी
हादसे के बाद वन विभाग के लोगों ने मृत हाथियों को क्रेन की मदद से ट्रैक से हटाया और एरिया क्लियर किया। रिपोर्ट में बताया गया है कि जो हुला पार्टी हाथियों के झुंंड को हटा रही थी, वह लोकल युवाओं का ग्रुप है जिसे राज्य सरकार द्वारा गांव व खेती वाले एरिया में से हाथियों को बाहर निकालने के लिए नियुक्त किया गया है।
वेस्ट बंगाल में मानव-पशु संघर्ष को कम करने के लिए काम कर रहे ह्यूमन एंड एनवायरनमेंट अलायंस लीग (HEAL) NGO के सचिव सुव्रज्योति चटर्जी ने द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा, “अब यह स्पष्ट है कि एक अधिक व्यावहारिक, विज्ञान-समर्थित और मज़बूत संघर्ष प्रबंधन रणनीति की तत्काल आवश्यकता है।”
उन्होंने आगे कहा कि मानव-हाथी संघर्ष के जटिल मुद्दे के समाधान में समावेशी निर्णय प्रक्रिया शामिल होनी चाहिए, जिसमें वन विभाग, स्थानीय समुदाय, स्वतंत्र वन्यजीव विशेषज्ञ, रेलवे प्राधिकरण, नागरिक समाज और संरक्षण संगठनों सहित सभी हितधारकों की सक्रिय भागीदारी हो।