Pilibhit Encounter: पंजाब में पिछले 1 महीने में 8 पुलिस थानों और चौकियों पर हमले हो चुके हैं और इससे सवाल उठ रहा है कि क्या पंजाब में खालिस्तान का समर्थन करने वाले तत्व एक बार फिर से सिर उठा रहे हैं? इन हमलों को लेकर पंजाब और उत्तर प्रदेश पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में तीन बदमाशों का एनकाउंटर कर दिया गया। बदमाशों की पहचान वीरेंद्र सिंह उर्फ रवि (23), गुरविंदर सिंह (25) और जसन प्रीत सिंह उर्फ प्रताप सिंह (18) के रूप में हुई है। ये सभी गुरदासपुर के रहने वाले थे।
इस एनकाउंटर के बीच ही खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स (केजेडएफ) की एक बार फिर से चर्चा होने लगी है।
पंजाब पुलिस इस बात की जांच कर रही है कि पीलीभीत एनकाउंटर में मारे गए तीनों बदमाश केजेडएफ के साथ कैसे जुड़े। सूत्रों के अनुसार, इनमें से एक बदमाश केजेडएफ से जुड़े कुछ गैंगस्टरों के संपर्क में था, जबकि बाकी दो उसके दोस्त थे। एनकाउंटर के बाद से रणजीत सिंह नीटा की एक रिकॉर्डिंग सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है, जिसमें पंजाब और यूपी पुलिस को “फर्जी एनकाउंटर” करने के लिए धमकी दी गई है।
चौकियों-थानों पर हमलों के बाद पंजाब में आतंकियों और गैंगस्टरों के गठजोड़ को फेल करने के लिए पंजाब पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां एक्टिव हो गई हैं।
द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, पुलिस के सूत्रों ने बताया कि जिन तीन बदमाशों का एनकाउंटर किया गया है उनका अपराध करने का तरीका केजेडएफ के तरीकों जैसा है। केजेडएफ अपने टारगेट को पूरा करने के लिए छोटे-मोटे अपराध करने वाले लोगों को भाड़े पर रखता है।
आइए, जानते हैं कि केजेडएफ की स्थापना किसने की और पंजाब की शांति के लिए यह कितना खतरनाक है। इसके साथ ही पंजाब की कानून व्यवस्था को लेकर खड़े हो रहे सवालों पर भी चर्चा करेंगे।
किसने की केजेडएफ की स्थापना?
रणजीत सिंह नीटा ने 90 के दशक में केजेडएफ की नींव रखी थी। यह वह दौर था जब पंजाब में सिख उग्रवाद पर काफी हद तक काबू पा लिया गया था। रणजीत सिंह नीटा का क्रिमिनल रिकॉर्ड था और भारत में कानून के फंदे से बचने के लिए वह पाकिस्तान भाग गया था। रणजीत सिंह नीटा भारत के टॉप 20 वांटेड बदमाशों में से एक है। नीटा की उम्र 65 साल है और वह विदेश में बसा हुआ है।
नीटा कुछ वक्त तक पाकिस्तान के लाहौर में रहा और बाद में खालिस्तान आंदोलन में सक्रिय हो गया। पाकिस्तान में परमजीत सिंह पंजवड़ और वाधवा सिंह बब्बर जैसे कुख्यात सिख आतंकी भी सक्रिय थे लेकिन नीटा इनके साथ नहीं जुड़ा बल्कि उसने केजेडएफ के जरिये अलग काम किया।

नीटा जब जम्मू और पंजाब के बीच ट्रक चलाता था तो उसके पाकिस्तान में तस्करों से संबंध बन गए थे। पंजाब पुलिस के सूत्रों का कहना है कि नीटा तस्करों और गैंगस्टरों के उसी नेटवर्क के जरिए आपराधिक वारदातों को अंजाम दे रहा है।
आईएसआई ने भी किया नीटा का इस्तेमाल
नीटा जब पाकिस्तान में था, तब उसका नाम 1988 और 1999 के बीच जम्मू और पठानकोट के बीच चलने वाली ट्रेनों और बसों में बम विस्फोट की जितनी घटनाएं हुई, उनमें सामने आया था। अक्टूबर, 2021 में नीटा के खिलाफ जम्मू के कठुआ में पुलिस उपाधीक्षक देविंदर शर्मा की हत्या का केस दर्ज किया गया था। जम्मू और पंजाब में आपराधिक नेटवर्क के सहारे उसने पंजाब में टारगेट किलिंग की घटनाओं को अंजाम दिया। यहां तक कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने कश्मीर के आतंकवादी संगठनों की सहायता के लिए भी उसका इस्तेमाल किया। 2019 में रणजीत सिंह नीटा पर ड्रोन का इस्तेमाल करके हथियारों की पहली खेप को भारत में लाने का आरोप लगा था।
अब फिर से सवाल आता है पंजाब की कानून व्यवस्था का।
दीवारों पर लिखे गए खालिस्तान जिंदाबाद के नारे
पंजाब में पिछले कुछ सालों में कई जगहों पर खालिस्तान जिंदाबाद के नारे दीवारों पर लिखे गए हैं। इसके अलावा ऑपरेशन ब्लू स्टार की बरसी पर खालिस्तानी अमृतसर में खालिस्तान के समर्थन में रैली भी निकाल चुके हैं। इस साल अमृतसर में ऑपरेशन ब्लूस्टार की 40वीं बरसी के दौरान खालिस्तान के पक्ष में नारे लगाए गए। पंजाब में कई जगहों पर युवाओं को अलगाववादी नेता जरनैल सिंह भिंडरावाले और खालिस्तानी अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर की तस्वीरों वाले कपड़े पहने हुए भी देखा जा चुका है।
इसके अलावा पंजाब में बड़े पैमाने पर नशे की तस्करी करने की भी कोशिश हो रही है। विदेश में बैठे खालिस्तानी पंजाब के युवाओं को भड़काकर यहां आपराधिक गतिविधियों को अंजाम देने में कामयाब हो रहे हैं। पाकिस्तान से लगने वाले तरनतारन, फिरोजपुर व अन्य जिलों में गैंगस्टर बेरोजगार युवाओं को लालच देकर वारदात करवा रहे हैं।

खालिस्तान के नाम पर भड़काने की कोशिश
जांच एजेंसियां कह चुकी हैं कि विदेश में बैठे खालिस्तानी और कट्टरपंथी सिख संगठन पंजाब के युवाओं को खालिस्तान के नाम पर भड़का रहे हैं। ऐसे में पाकिस्तान से लगने वाले इस सरहदी सूबे की सुरक्षा और यहां पर कट्टरपंथ को बढ़ने से रोकने के लिए सख्त कदम उठाए जाने की जरूरत है।
पंजाब ने देखा है आतंकवाद का दौर
पंजाब ने कई सालों तक आतंकवाद का मनहूस दौर देखा है। उस दौरान पंजाब में 30 हजार से ज्यादा मासूम और निर्दोष लोगों की हत्या हुई और शांति, खुशहाली के लिए पहचाना जाने वाला यह राज्य आतंकवाद से बुरी तरह प्रभावित रहा। चौकियों-थानों पर हुए हमलों के बीच पंजाब में अलगाववाद व खालिस्तान का खतरा फिर से पैदा हुआ है।