तीन तलाक बिल लोकसभा के बाद राज्यसभा में पास हो चुका है। राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद यह कानून का रूप ले लेगा। दोनों सदन से बिल के पास होने के बाद भी जनता दल यूनाइटेड (केंद्र और बिहार में एनडीए की सहयोगी) ने इसके खिलाफ सख्त रवैया अपनाया हुआ है। मुस्लिम जेडीयू नेता रसूल बलियावी ने कहा है कि सरकार जो कानून बनाना चाहे बना लें पर मुसलमान तो वही करेगा जो कुरान, हदीस और शरियत के कानून में लिखा है।
उन्होंने अफनागिस्तान और सीरिया का नाम लेते हुए कहा कि किसी देश का चरित्र इस्लाम का मॉडल नहीं हो सकता। इस्लाम में कुरान हदीस और शरिय कानून के आधार पर सभी मुद्दों पर नियम हैं ऐसे में किसी और देश का उदाहरण देकर देश की जनता को गुमराह नहीं किया जाना चाहिए।
मालूम हो कि केंद्र सरकार ने अन्य इस्लामिक देशों का उदाहरण देते हुए कहा है कि वहां भी तीन तलाक अपराध की श्रेणी में आता है तो भारत में भी यह व्यवस्था लागू होनी चाहिए। मुस्लिम नेता ने कहा कि इस मुद्दे पर एनडीए फोरम में चर्चा होनी चाहिए थी। बिना चर्चा किए ही बिल आया और पास कर दिया गया। वहीं इससे पहले पार्टी के ही वरिष्ठ नेता केसी त्यागी ने भी इस बिल का विरोध किया। उन्होंने कहा कि हमें ये बिल स्वीकार्य नहीं है। यह बेहद ही संवेदनशील मुद्दा है जिसपर बिना आम सहमति के ही फैसला नहीं लिया जा सकता। सच तो यह है कि इस पर कभी भी एनडीए में आम सहमति बनाने की कोशिश नहीं हुई।
इससे पहले तीन तलाक बिल पर जेडीयू की तरफ से लोकसभा में बहस के दौरान कहा गया था कि इससे समाज में अविश्वास पनपेगा। इस बिल में प्रावधान है कि यदि पति तुरंत तीन बार तलाक बोलता है तो उसे तीन साल की सजा हो सकती है। वर्तमान में तमाम विपक्षी दल इसकी मुखालफत कर रहे हैं। विपक्ष का कहना है कि इस बिल के पास होने से कानून का इस्तेमाल मुसलमानों के खिलाफ किया जाएगा।