BY: ARUN KUMAR
जम्मू-कश्मीर में आतंकी घटनाएं होती रहती हैं, पड़ोसी पाकिस्तान की तरफ से साजिशें रची जाती हैं, उससे आतंकी बॉर्डर क्रॉस करते हैं और फिर दशहतगर्दी फैलाने का काम होता है। लेकिन पिछले कई सालों तक ट्रेंड ये चलता था कि हमले कश्मीर घाटी में होते थे, वहां के कई इलाके अशांत माने जाते थे। लेकिन अब पिछले कुछ समय में ये ट्रेंड टूटा है, जिस जम्मू को शांत माना जाता था, वहां पर अब आतंकियों की दस्तक हो गई है, हमले देखने को मिल रहे हैं और लोगों की मौत भी हो रही है।
टेक्नोलॉजी का सहारा ले रहे आतंकी
साल 2021 में कहने को जम्मू के तीन जिले- पुंछ, रजौरी और जम्मू में कम आतंकी घटनाएं हुई थीं, लेकिन वो ज्यादा खूनी रहीं। अब इसके कई कारण माने जा रहे हैं। आतंकी नई तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं, उनको ट्रेस करना मुश्किल हो रहा है और लगातार उनकी मूवमेंट चेंज होती रहती है। इस बारे में एक अधिकारी कहते हैं कि जो हमले कर रहे हैं, वो खुद के फोन इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं। लोकल लोगों से उनके फोन लिए जाते हैं और फिर पाकिस्तान में बैठे हैंडलर्स से बात होती है। ये लोग टेलीग्राम जैसी ऐप के जरिए बात करते हैं, इस वजह से इनकी लोकेशन ट्रेस करना मुश्किल रहता है।
इनफॉर्मर्स हो रहे कम, नहीं मिल रही सारी जानकारी
अब कारण जो भी रहे, इंटेलिजेंस फेलियर तो हो रहा है, इसी वजह से हमले भी हो रहे हैं। एक रिटायर्ड आर्मी ऑफिसर कहते हैं कि ह्यूमन इंटेलिजेंस कमजोर होती जा रही है। किसी भी काउंटर इनसरजेंसी ऑपरेशन में ये बहुत जरूरी रहता है। जोर देकर कहा गया है कि पहले जो इनफॉर्मर्स आतंकियों की लोकेशन बता दिया करते थे, अब वो मिसिंग हो गए हैं। आतंकी तो अभी भी जंगलों में आते हैं, अपनी जरूरतों के लिए कई लोगों से संपर्क करते हैं, लेकिन उनकी गतिविधियों पर जो इनफॉर्मर नजर रख सकते हैं, उनकी कमी हो गई है।
चीन के साथ विवाद, सेना की जम्मू से शिफ्टिंग
पुलिस महकमे की तरफ से एक और जानकारी दी जाती है। ऐसा कहा जा रहा है कि कुछ नए अधिकारी जिनकी पोस्टिंग होती भी है, उनका इनफॉर्मर नेटवर्क काफी कमजोर है, वो अपने इलाके में ज्यादा मेहनत नहीं कर रहे, थोड़ी लापरवाही नजर आ रही है। वैसे एक और चिंता की बात सामने आई है, जिस समय भारत का चीन के साथ सीमा विवाद चल रहा था, जमीन पर तनाव की स्थिति थी, तब जम्मू से ही राष्ट्रीय राइफल्स के कई जवानों को वहां भेज दिया गया था, यानी कि जम्मू में सेना की तैनाती कुछ कम हुई थी।
सेना का क्या मानना है, स्थिति कैसी है?
जानकार मानते हैं कि ये वो समय था जब कश्मीर घाटी में पुलिस और आर्मी का ऑपरेशन ऑल आउट पूरे जोरों पर था, कई आतंकियों का सफाया किया जा चुका था। ऐसे में उन्हें नए ठिकानों की जरूरत थी। हो सकता है उस समय ही कई आतंकियों ने अपना बेस कश्मीर से शिफ्ट कर जम्मू कर लिया होगा। अब आंकड़े तो कई है, तर्क भी दिए जा रहे हैं, लेकिन सेना का मानना है कि आतंकी सिर्फ राजोरी और पुंछ के इलाकों में अपनी पैठ जमा पाई है, पूरे जम्मू में उनकी स्थिति कमजोर है। उनके कई प्रयास इसी वजह से लगातार फेल हो रहे हैं।