राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने जांच में पाया है कि जम्मू-कश्मीर में हुई पिछली दो आतंकी घटनाओं में पाकिस्तान के लश्कर-ए-तैयबा का हाथ था। इनमें से एक जनवरी के महीने में राजौरी गांव में हुआ हमला था जिसमें 7 नागरिक मारे गए थे और दूसरा हमला पुंछ जिले में हुआ था, जहां सेना के वाहनों को निशाना बनाया गया था।
जम्मू कश्मीर में हुए थे दो हमले
जम्मू कश्मीर में पहला आतंकी हमला 1 जनवरी की रात राजौरी के ढांगरी गांव में हुआ था इस पांच लोगों की मौत हो गई थी और कई घायल हो गए थे। अगली सुबह पिछली रात एक घर में लगाए गए आईईडी में विस्फोट होने से दो और लोगों की मौत हो गई थी और कई घायल हो गए थे। शुरुआती जांच से पता चला है कि आईईडी दो आतंकवादियों द्वारा वरिष्ठ अधिकारियों को निशाना बनाने के लिए लगाया गया था। मामला शुरू में राजौरी पुलिस स्टेशन में दर्ज किया गया था लेकिन बाद में NIA ने इसे अपने हाथ में ले लिया था। जांच के दौरान एनआईए ने पाया कि दोनों हमलावरों को लोकल लोगों की तरफ से मदद दी गई थी।
सितंबर में NIA ने ढांगरी हत्याओं में शामिल आतंकवादियों को शरण देने के आरोप में पुंछ जिले से दो लोगों को गिरफ्तार किया था जिनका नाम निसार अहमद और मुश्ताक हुसैन था। उनसे पूछताछ के बाद एनआईए को पता चला कि निसार लश्कर-ए-तैयबा के एक हैंडलर अबू कताल उर्फ कतल सिंधी के लगातार संपर्क में था। ओवरग्राउंड वर्कर निसार को पहले गिरफ्तार किया गया था।
सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम के तहत दो साल हिरासत में बिताने के बाद उन्हें 2014 में जेल से रिहा कर दिया गया था। निसार पिछले दो-तीन सालों से मुखबिर के तौर पर काम कर रहा था और ढांगरी में हमले के बाद स्थानीय पुलिस ने उसे बुलाया भी था। उसने जांचकर्ताओं को बताया कि घटना के बाद क़ताल ने उसे दोनों आतंकवादियों को जगह देने के लिए कहा था और उसने मुश्ताक हुसैन को 75,000 रुपये दिए थे और उसे एक गुफा में ठिकाना बनाने के लिए कहा था। निसार उन्हें घर का खाना उपलब्ध कराता था।