केंद्रीय गृहमंत्रालय ने जम्मू-कश्मीर के नज़रबंद नेता उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती के जरिए बीते दो दिनों के भीतर संपर्क साधने की कोशिश की है। ये संपर्क खुफिया विभाग के अधिकारियों के द्वारा किया गया है। टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक केंद्र सरकार ने घाटी में शांति और सद्भाव स्थापित करने के मकसद से राज्य दोनों पूर्व मुख्यमंत्रियों को साधने की कोशिश में जुटी है। सरकार चाहती है कि दोनों पूर्व मुख्यमंत्री लोगों को समझाने में उसकी मदद करें।

मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि शनिवार को दोनों नेताओं से खुफिया विभाग के अधिकारियों ने बातचीत की। हालांकि, आधिकारिक रूप से इस ख़बर को न तो खारिज किया गया है और न ही पुष्टि की गई है। वहीं, उमर अब्दुल्ला की पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस ने इस रिपोर्ट को बकवास करार दिया है।

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महबूबा मुफ्ती की पार्टी पीडीपी के सूत्रों ने हालांकि बताया है कि कुछ सरकारी अधिकारियों ने दोनों नेताओं से हिरासत में मुलाकात की और उनसे रिहा होने की सूरत में जम्मू-कश्मीर में विशेष रूप से घाटी में सामान्य स्थिति बहाल करने में मदद करने को कहा है। “टाइम्स ऑफ इंडिया” के मुताबिक पीडीपी के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “लेकिन दोनों नेताओं ने अनुच्छेद 370 को रद्द करने के संसद के फैसले के खिलाफ अपने रुख से हिलने से इनकार कर दिया।”

उमर और पीडीपी प्रमुख महबूबा 5 अगस्त से नजरबंद हैं। उमर को हरि निवास पैलेस में रखा गया है, वहीं महबूबा को श्रीनगर में चेशमाशाही में जेके पर्यटन विकास हट में हिरासत में लिया गया है। उमर और महबूबा दोनों ही जम्मू-कश्मीर की विशेष स्थिति और दो केंद्र शासित प्रदेशों में राज्य के पुनर्गठन का विरोध कर रहे हैं।