जम्मू-कश्मीर में एक आध्यात्मिक गुरु (faith healer) द्वारा एक नाबालिग के यौन शोषण के खुलासे के बाद ऐसे कई मामले सामने आए हैं। नाबालिग द्वारा अपने पिता के सामने चुप्पी तोड़ने और आध्यात्मिक गुरु द्वारा यौन शोषण की जानकारी देने के नौ साल बाद, जम्मू और कश्मीर की एक अदालत ने रणबीर दंड संहिता (RPC) की धारा 377 के तहत आरोपी को दोषी ठहराया है।

अदालत ने 123 पेज के अपने फैसले का अंत एक कविता ‘Whispers of Faith, Echoes of Fear’ से किया, जिसे मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट मीर वजाहत ने पीड़ितों की पीड़ा और अभियुक्तों के चरित्र पर लिखा था।

मामला मार्च 2016 में सामने आया

पहला मामला मार्च 2016 में सामने आया था जब 14 साल के एक लड़के ने अपने परिवार के आग्रह के बावजूद आरोपी से मिलने से इनकार कर दिया। जब परिवार ने उसे मनाने की कोशिश की तभी उसने अपनी बात खोली। मामला दर्ज होने के बाद, कई अन्य बच्चे आरोपी द्वारा यौन शोषण के बारे में बताने के लिए आगे आए। तब तक, कई पीड़ित बड़े हो चुके थे और उनकी उम्र किशोरावस्था के अंत या 20 के दशक की शुरुआत में थी।

पढ़ें- देशभर के मौसम का हाल

आरोपी (उम्र 54 साल) कथित तौर पर अपने अनुयायियों को अच्छी किस्मत, वित्तीय समस्याओं से राहत या बीमारियों के इलाज का वादा करता था। वह उन्हें अपने बच्चों को साथ लाने के लिए कहता था ताकि वे सोपोर के बाहरी इलाके में उसके घर पर जिन्न (अलौकिक शक्तियों) से बात कर सकें। वह कथित तौर पर अपने पीड़ितों को यह कहकर चुप करा देता था कि अगर वे किसी से बात करेंगे तो जिन्न उनका पीछा करेंगे और उनके परिवारों को नष्ट कर देंगे।

अदालत ने सुनाई यह सजा

इस मामले में कम से कम 12 परिवारों ने अदालत का दरवाजा खटखटाया है, हालांकि अधिकारियों का अनुमान है कि पीड़ितों की संख्या इससे अधिक हो सकती है। बाल शोषण के आरोपी को दोषी ठहराते हुए बारामुल्ला के सीजेएम मीर वजाहत ने सोमवार को कहा, “अभियोजन पक्ष द्वारा प्रस्तुत किए गए विश्वसनीय साक्ष्यों के आधार पर, यह अदालत मानती है कि आरोपी धारा 377 आरपीसी के तहत दंडनीय अप्राकृतिक अपराध करने का दोषी है, जिससे पीड़ितों के शरीर, मन और आत्मा पर असर पड़ा है।”

आदेश में कहा गया है, “अभियोजन पक्ष ने अपराध के सभी संदेह को साबित कर दिया है, वहीं बचाव पक्ष कोई भी ऐसा ठोस सबूत पेश करने में विफल रहा है, जिसके कारण उसे बरी किया जा सके।” अदालत ने कहा, “आरोपी को अप्राकृतिक अपराध करने के लिए धारा 377 आरपीसी के तहत दोषी ठहराया जाता है।” पढ़ें- देश दुनिया की तमाम बड़ी खबरों के लेटेस्ट अपडेट्स