जम्मू कश्मीर के चुनाव में दिलचस्प समीकरण देखने को मिल रहे हैं, कई सालों बाद हो रहे हैं विधानसभा चुनाव में नेशनल कांफ्रेंस अपनी पूरी ताकत झोंक रही है। खुद उमर अब्दुल्ला दो सीटों से इस बार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। बड़ी बात यह है कि उमर अब्दुल्ला ने पहले ऐलान किया था कि वे आगामी विधानसभा चुनाव में नहीं लड़ने वाले, लेकिन ऐन वक्त पर उन्होंने दो सीटों से अपना नॉमिनेशन दाखिल कर दिया है।

जम्मू-कश्मीर चुनाव: परिवार का गढ़ बचाना उमर की चुनौती

इस बार के विधानसभा चुनाव में उमर अब्दुल्ला बड़गाम और गांदरबल सीट से चुनाव लड़ने जा रहे हैं। गांदरबल सीट तो नेशनल कांफ्रेंस का गढ़ मानी जाती है। वहां पर शेख अब्दुल्ला से लेकर फारूक अब्दुल्ला तक ने कई बार लगातार जीत दर्ज की है, खुद उमर अब्दुल्ला भी 2008 के चुनाव में यहां से जीत दर्ज कर चुके हैं। ऐसे में इसे सुरक्षित सीट के तौर पर देखा जा रहा है, लेकिन सवाल यह है कि उमर अब्दुल्ला इस बार बड़गाम से क्यों लड़ रहे हैं?

जम्मू-कश्मीर में पुराने वफादारों पर पार्टियों का दांव

बड़गाम से चुनाव लड़ने की रणनीति क्या है?

असल में समझने वाली बात यह है कि हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में बारामूला सीट से उमर अब्दुल्ला को हार का सामना करना पड़ा था। उस चुनाव में इंजीनियर राशिद ने उन्हें बड़े अंदर से हरा दिया था। लेकिन दिलचस्प बात यह रही कि बारामूला सीट में बड़गांव का क्षेत्र भी आता है और इस इलाके में उमर अब्दुल्ला तब आगे थे। इसी वजह से पार्टी को लगता है बड़गाम सीट से उमर अब्दुल्ला की जीत की संभावना ज्यादा है। नेशनल कांफ्रेंस को इस समय ऐसा भी लगता है कि बड़गाम का जातीय समीकरण भी उमर अब्दुल्ला के पक्ष में जा सकता है। पार्टी को दोनों शिया और सुन्नी वोटरों का अच्छा खासा समर्थन हासिल हो सकता है।

वैसे उमर अब्दुल्ला के लिए इस बार फिर एक और चुनौती सामने आ रही है। अगर लोकसभा चुनाव के दौरान जेल में बंद इंजीनियर राशिद ने उन्हें हरा दिया था तो अब जेल में ही कैद सर्जन अहमद बरकाती गांदरबल सीट से चुनौती देने जा रहे हैं।

फिर जेल में बैठे उम्मीदवार से उमर का मुकाबला

इस बार के चुनाव में उमर अब्दुल्ला भी अलग ही विश्वास में दिखाई दे रहे हैं। उन्होंने तो दो टूक कह दिया है कि दो सीटों से चुनाव लड़ना कोई कमजोरी की निशानी नहीं है बल्कि नेशनल कांफ्रेंस की ताकत दिखता है। उनके मुताबिक इस समय पूरे जम्मू कश्मीर में नेशनल कांफ्रेंस के पक्ष में एक लहर चल रही है। जानकारी के लिए बता दें कि चुनाव में नेशनल कांग्रेस ने कांग्रेस के साथ गठबंधन कर रखा है। खुद नेशनल कॉन्फ्रेंस 51 सीटों पर चुनाव लड़ रही है तो कांग्रेस को भी 32 सीटें दी गई हैं।