Jammu-Kashmir News: जम्मू-कश्मीर में 13 जुलाई नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) शहीद दिवस के तौर पर मनाना चाहती थी। हालांकि, प्रशासन की तरफ से इसकी इजाजत नहीं दी गई। सीएम उमर अब्दुल्ला ने दावा किया था कि उनको नजरबंद कर दिया गया है। हालांकि, आज मुख्यमंत्री ने कथित तौर पर सुरक्षा बलों द्वारा रोके जाने के बाद मजार-ए-शुहादा की चारदीवारी फांदकर फातिहा पढ़ा। उन्होंने कहा कि मुझे आज भी रोकने की कोशिश की गई। उन्होंने हाथापाई भी की, पुलिस कभी-कभी कानून भूल जाती है।

जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री ने मीडिया से बातचीत में कहा, ‘बड़े अफसोस की बात है कि वो लोग जो खुद इस बात का दावा करते हैं कि उनकी जिम्मेदारी सिर्फ सिक्योरिटी और लॉ एंड ऑर्डर है उनके वाजिया हिदायत के मुताबिक हमें कल यहां आकर फातिहा पढ़ने की इजाजत नहीं दी गई। सब को सुबह-सुबह ही अपने घरों में बंद रखा गया। यहां तक की जब धीरे-धीरे गेट खुलना शुरू हुआ और मैंने कंट्रोल रूम को बताया कि मैं यहां पर आना चाहता हूं फातिहा पढ़ने के लिए तो मिनटों के अंदर-अंदर मेरे घर के गेटों के बाहर बंकर लगा और रात के 12-1 बजे तक उसको हटाया नहीं गया।’

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हम किसी के गुलाम नहीं – मुख्यमंत्री

सीएम अब्दुल्ला ने आगे कहा, ‘आज मैंने इनको बताया ही नहीं, बिना बताए मैं गाड़ी में बैठा और इनकी बेशर्मी देखिए आज भी इन्होंने हमें यहां तक रोकने की कोशिश की। मैंने चौक में अपनी गाड़ी खड़ी की, सीआरपी का बंकर सामने लगाया। फिर हाथापाई करने की भी कोशिश की गई। ये पुलिस वाले जो वर्दी पहनते हैं ये कभी-कभी कानून भूल जाते हैं। मैं इनसे पूछना चाहता हूं कि किस कानून के तहत इन लोगों ने हमें रोकने की कोशिश की। अगर कोई रूकावट थी तो कल के लिए थी। कहने के लिए तो कहते हैं कि यह आजाद मुल्क है, लेकिन बीच-बीच में ये लोग समझते हैं कि हम इनके गुलाम हैं। हम किसी के गुलाम नहीं है। हम अगर गुलाम हैं तो यहां के लोगों के गुलाम हैं। हम अगर खादिम हैं तो यहां के लोगों के खादिम हैं।’

हमने इनकी कोशिशों को नाकामयाब किया – सीएम उमर

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘ये लोग वर्दी पहनकर कानून को इस तरह तहस नहस करें ये बात मेरी समझ में नहीं आती है। हमने इनकी कोशिशों को नाकामयाब किया। इन्होंने हमें पकड़ने की कोशिश की, हमारे झंडे को फाड़ने की कोशिश की। लेकिन इनकी तमाम कोशिशें आज नाकामयाब रहीं। हम आए हमने फातिया पढ़ा इन लोगों को शायद गलतफहमी है कि 13 जुलाई को यहां कब्रें हैं। ये भूल जाते हैं कि ये कब्रें हमारी शहीदों के साल के तमाम दिन यहां पर हैं। चलिए 13 जुलाई ना सही 12 जुलाई, 15 जुलाई दिसंबर जनवरी फरवरी कब तक रोकेंगे।’ ‘Martyrs Day’ पब्लिक हॉलिडे को लेकर NC-PDP आमने सामने, जानें क्या है 13 जुलाई का महत्व