जम्मू-कश्मीर के सीएम उमर अब्दुल्ला को डोगरा सेना की गोलीबारी में मारे गए 22 लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए नक्शबंद साहिब कब्रिस्तान का गेट फांदकर अंदर प्रवेश करना पड़ा क्योंकि पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की थी। उन्होंने आरोप लगाया कि उनके और उनके सहयोगियों के साथ धुक्का मुक्की की गई। इस पर टिप्पणी करते हुए हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष मीरवाइज़ उमर फारूक ने सोमवार को कहा कि मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को तानाशाहीपूर्ण ज्यादती की कड़वी खुराक चखने के बाद लोगों की गरिमा और मौलिक अधिकारों को बनाए रखने पर अपना ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

मीरवाइज ने ‘एक्स’ पर कहा, “सत्ता बहुत कम सिखाती है जबकि सत्ताहीनता बहुत कुछ सिखा देती है। आज मुख्यमंत्री साहब ने तानाशाही रवैये और ज्यादती की कड़वी खुराक चखी। उसके बाद उन्होंने उसी तरह लाचार महसूस किया जैसे आम कश्मीरी नागरिक हर रोज़ अलग-अलग रूपों में करता है क्योंकि उन्हें कोई अधिकार या जगह नहीं दी जाती।”

सीएम को लोगों की गरिमा और मौलिक अधिकारों को बनाए रखने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए- मीरवाइज

मीरवाइज ने कहा,”उम्मीद है कि इस अनुभव के बाद वह अपनी तवज्जो उस ओर देंगे जो हर व्यक्ति की पहली प्राथमिकता है- उनकी गरिमा और उनके मौलिक अधिकारों को बनाए रखने और इनकी बहाली के प्रति ईमानदारी से काम करने करने पर।”

जम्मू-कश्मीर में 13 जुलाई को ‘शहीद दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। इस दिन 1931 में श्रीनगर केंद्रीय जेल के बाहर डोगरा सेना की गोलीबारी में 22 लोग मारे गए थे। उपराज्यपाल प्रशासन ने 2020 में इस दिन को राजपत्रित अवकाश की सूची से हटा दिया था।

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कब्रिस्तान का गेट फांदकर अंदर घुसे सीएम अब्दुल्ला

सोमवार को जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने 13 जुलाई, 1931 को डोगरा सेना की गोलीबारी में मारे गए 22 लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए नक्शबंद साहिब कब्रिस्तान का गेट फांदकर अंदर प्रवेश किया। यह नाटकीय दृश्य उस समय सामने आया जब अब्दुल्ला और नेशनल कांफ्रेंस सहित विपक्षी दलों के कई नेताओं को शहीद दिवस के मौके पर कब्रिस्तान जाने से रोकने के लिए एक दिन पहले घर पर नजरबंद कर दिया गया था।

नेशनल कांफ्रेंस अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला खनयार चौक से शहीद स्मारक तक एक ऑटो रिक्शा में पहुंचे जबकि शिक्षा मंत्री सकीना इट्टू स्कूटी पर पीछे बैठकर स्मारक तक पहुंचीं। सुरक्षा बलों ने श्रीनगर के व्यस्त क्षेत्र में खनयार और नौहट्टा की ओर से शहीद कब्रिस्तान जाने वाली सड़कों को सील कर दिया था। जैसे ही उमर अब्दुल्ला का काफिला पुराने शहर के खनयार इलाके में पहुंचा, वह अपनी गाड़ी से उतर गए और कब्रिस्तान तक पहुंचने के लिए एक किलोमीटर से अधिक पैदल चले लेकिन अधिकारियों ने कब्रिस्तान का गेट बंद कर दिया था।

इसके बाद मुख्यमंत्री कब्रिस्तान के मुख्य द्वार पर चढ़ गए और अंदर प्रवेश कर ‘फातिहा’ पढ़ा। उनके सुरक्षाकर्मी और नेशनल कांफ्रेंस के कई अन्य नेता भी गेट पर चढ़ गए जिसके बाद अंततः गेट खोल दिया गया। उमर अब्दुल्ला ने उन्हें और उनके दल को शहीदों के कब्रिस्तान में प्रवेश करने से रोकने पर उपराज्यपाल और पुलिस की कड़ी आलोचना की। पढ़ें- CM उमर अब्दुल्ला ने मजार-ए-शुहादा की दीवार फांदकर पढ़ा फातिहा

(इनपुट-भाषा)