जम्मू-कश्मीर में 10 साल बाद हुए विधानसभा चुनाव के नतीजे सामने आने के बाद उमर अब्दुल्ला केंद्र शासित प्रदेश के नए सीएम बने। उन्होंने आज श्रीनगर के शेर-ए-कश्मीर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन केंद्र (SKICC) में पद और गोपनीयता की शपथ ली। उनके साथ 5 और मंत्रियों ने भी शपथ ली। मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद उमर अब्दुल्ला ने पहला फैसला लिया है।

उमर अब्दुल्ला ने सड़क पर उनका काफिला निकलने के दौरान ग्रीन कॉरिडोर न बनाने का निर्देश दिया है। जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट किया, “मैंने जम्मू-कश्मीर पुलिस के महानिदेशक से बात की है कि जब मैं सड़क मार्ग से कहीं भी जाऊं तो कोई ‘ग्रीन कॉरिडोर’ न बनाया जाये या कहीं ट्रैफिक न रुके। मैंने उन्हें सार्वजनिक असुविधा को कम करने और सायरन का न्यूनतम उपयोग करने का निर्देश दिया है।”

सीएम ने आगे लिखा, “किसी भी तरह की छड़ी लहराने या आक्रामक इशारों से पूरी तरह बचना चाहिए। मैं अपने कैबिनेट सहयोगियों से हर चीज में उसी उदाहरण का पालन करने के लिए कह रहा हूं। हम यहां लोगों की सेवा करने के लिए हैं उन्हें असुविधा पहुंचाने के लिए नहीं।”

सुरिंदर चौधरी बने जम्मू-कश्मीर के उपमुख्यमंत्री

जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने बुधवार को पार्टी नेता सुरिंदर चौधरी को उपमुख्यमंत्री चुना। उमर अब्दुल्ला ने कहा कि उन्होंने नौशेरा से चौधरी को इस पद के लिए इसलिए चुना क्योंकि वह क्षेत्र को लोगों को प्रतिनिधित्व देने के साथ ही अपनी सरकार को समावेशी बनाना चाहते हैं।

उमर अब्दुल्ला के लिए सरकार चलाना आसान नहीं, जानें केंद्र शासित प्रदेश बनने से कितनी कम हुई ताकत

नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर ने शपथ ग्रहण समारोह के बाद पत्रकारों से कहा कि हमारा प्रयास सभी को साथ लेकर चलना होगा। अब्दुल्ला के साथ पांच मंत्रियों – सकीना मसूद (इटू), जावेद डार, जावेद राणा, सुरिंदर चौधरी और सतीश शर्मा ने भी पद की शपथ ली। अब्दुल्ला ने कहा कि तीन पद खाली हैं और उन्हें भी धीरे धीरे भर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि चौधरी को उपमुख्यमंत्री के रूप में इसलिए चुना गया ताकि जम्मू के लोग खुद को सरकार से अलग-थलग महसूस न करें।

उमर ने कहा, ‘‘मैंने कहा था कि हम जम्मू को यह महसूस नहीं होने देंगे कि इस सरकार में उनकी आवाज नहीं है, उनका कोई प्रतिनिधि नहीं है। मैंने जम्मू से उपमुख्यमंत्री इसलिए चुना है ताकि जम्मू के लोगों को लगे कि यह सरकार जितनी बाकियों की है, उतनी ही उनकी भी है।’’

कांग्रेस का कोई भी मंत्री सरकार में शामिल नहीं

गौरतलब है कि साल 2019 में जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों- जम्मू कश्मीर और लद्दाख में विभाजित करने के बाद केंद्र शासित प्रदेश में यह पहली चुनी हुई सरकार है। हाल में हुए चुनावों में नेशनल कॉन्फ्रेंस ने 90 में से 42 सीटें जीतीं जबकि गठबंधन सहयोगी कांग्रेस को छह सीटें मिलीं।

दिलचस्प बात यह रही कि घाटी में नेशनल कॉन्फ्रेंस की गठबंधन साथी कांग्रेस का कोई भी मंत्री सरकार में शामिल नहीं है। पार्टी ने सरकार को बाहर से समर्थन देने का ऐलान किया है।