Bitta Karate: न्यूज एजेंसी एएनआई ने सरकारी सूत्रों के हवाले से बताया है कि जम्मू-कश्मीर सरकार ने आतंकी बिट्टा कराटे की पत्नी समेत चार सरकारी कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया है। बता दें कि बिट्टा कराटे आतंकी आरोपों के अलावा कश्मीरी पंडितों की हत्या के मामले में आरोपी हैं। सरकारी सूत्रों का कहना है कि आतंकी संबंधों के कारण चारों को सेवाओं से बर्खास्त कर दिया गया है।
जिन लोगों को बर्खास्त किया गया है, उनमें बिट्टा कराटे की पत्नी अस्साबाह आरजूमंद खान, JKEDI के मैनेजर आईटी सयेद अब्दुल मुईद, कश्मीर यूनिवर्सिटी साइंटिस्ट मुहित अहमद भट्ट, कश्मीर यूनिवर्सिटी के असिस्टेंट प्रोफेसर माजिद हुसैन कादरी शामिल हैं।
सूत्रों के अनुसार, अस्सबाह जो 2011 बैच की JAKS अफसर हैं। सूत्रों के मुताबिक उन्हें आतंकी संगठन ISI से जुड़े होने के आरोप में नौकरी से हटाया गया है। अस्सबाह साल 2003 से 2007 तक अपनी ड्यूटी से गैर-हाजिर रहीं। इस दौरान वो जर्मनी, ब्रिटेन, हेलसिंकी, श्रीलंका और थाईलैंड के दौरे पर रहीं।
बर्खास्त किए गये लोगों में शामिल मुहित अहमद भट्ट कश्मीर यूनिवर्सिटी के डिपार्टमेंट ऑफ कंप्यूटर साइंस में साइंटिस्ट हैं। साल 2017 से लेकर 2019 तक मुहित कश्मीर में कई स्ट्रीट प्रोटेस्ट को आयोजित करता रहा। पत्थरबाजों और आतंकियों के परिवारों को पैसे मुहैया कराने का आरोप मुहित पर है।
हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर सयेह सलाहुद्दीन का बेटा सयेद अब्दुल्लाह को नौकरी से बर्खास्त किया गया है। सयेद जम्मू-कश्मीर इंटरप्रेन्योरशिप डेवेलपमेंट इंस्टीट्यूट में बतौर IT मैनेजर काम कर रहा था। आरोप है कि इसके भी संपर्क आतंकियों से थे। सयेद आतंकियों को सारी जानकारी उपलब्ध करा रहा था।
बहाल हुए शाह फैसल:
वहीं 2010 के बैच में सिविल सर्विस एग्जाम में टॉप करने वाले शाह फैसल की प्रशासनिक सेवा में बहाली हो गई है। बता दें कि आईएएस अधिकारी शाह फैसल ने तीन साल पहले अपनी नौकरी से इस्तीफा दे दिया था। इस्तीफे के बाद उन्होंने जम्मू-कश्मीर में राजनीति में कदम रखा था। राजनीति में पांव जमाने से पहले शाह फैसल का मन उखड़ने लगा और उन्होंने प्रशासनिक सेवा में आने के लिए फिर से आवेदन किया। जिसपर केंद्र सरकार ने मंजूरी दे दी।
बता दें कि शाह फैसल को कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (DOPT) ने बहाल कर दिया है। उन्हें केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय में उप सचिव के पद पर तैनात किया गया है। गौरतलब है कि 2019 में देश में ‘बढ़ती असहिष्णुता’ का आधार बताते हुए फैसल ने नौकरी से इस्तीफा दे दिया था।