Jammu-Kashmir Vidhan Sabh Chunav: जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव शुरू होने में अब महज कुछ ही दिन का समय बचा है। केंद्रशासित प्रदेश के लोगों में इस बार वोट डालने के लिए जबरदस्त उत्साह देखने को मिल सकता है। मोहम्मद सिद्दीक नाम का एक चरवाहा किश्तवाड़ के ऊंचे घास के मैदानों से पहले ही अपने पैतृक गांव कठुआ की तरफ लौट रहा है। वह केवल अकेला नहीं है बल्कि उसकी तरह और भी चरवाहे जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में वोट डालने के लिए समय से पहले ही वापस लौट रहे हैं। आर्टिकल 370 खत्म होने के बाद में पहली बार केंद्रशासित प्रदेश में चुनाव हो रहे हैं।

गुज्जर और बकरवाल परिवार गर्मियों की शुरुआत में हरियाली की तलाश में अपने जानवरों के साथ जम्मू-कश्मीर के ऊपरी इलाकों में चले जाते हैं और सर्दियों से पहले मैदानी इलाकों में लौट कर आ जाते हैं। किश्तवाड़ शहर के सुदूर दच्छन इलाके से चौगाम मैदान पहुंचने पर सिद्दीक ने पीटीआई से कहा कि हम इस सीजन में वोट डालने के लिए जल्दी घर लौट रहे हैं। हम मूल रूप से कठुआ जिले के हैं और हर साल अप्रैल में अपने जानवरों को चराने के लिए किश्तवाड़ आते हैं। उन्होंने कहा कि दर्जनों परिवार भी वोटिंग में हिस्सा लेने के लिए जल्दी लौट रहे हैं।

जम्मू-कश्मीर में कब होगी वोटिंग?

जम्मू-कश्मीर में 18 सितंबर, 25 सितंबर और 1 अक्टूबर को तीन फेज में वोटिंग होने जा रही है। वहीं वोटों की काउंटिंग 8 अक्टूबर को होनी है। कठुआ जिले की 6 विधानसभा सीटों के साथ-साथ उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा, बारामुल्ला और बांदीपोरा जिलों और जम्मू क्षेत्र के उधमपुर, सांबा और जम्मू जिलों में फैली 34 अन्य सीटों पर आखिरी फेज में वोटिंग होने जा रही है।

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किन मुद्दों पर वोट देंगे बकरवाल और गुज्जर समुदाय के लोग

सिद्दीक ने कहा कि हम ऐसे उम्मीदवार को वोट देंगे जो हमारा ध्यान रख सके। वह ऐसे समय में जब हम एक जगह से दूसरी जगह पर जाए। मोहम्मद शफी ने जोर देकर कहा कि सभी को अच्छी सरकार बनाने के लिए अपने मत का इस्तेमाल करना चाहिए। सिद्दीक ने कहा कि हम चाहते हैं कि एक अच्छी पार्टी को जनता चुने और सरकार बनाए ताकि जनता की परेशानियां दूर हो सकें। उन्होंने अपने समुदाय के सभी सदस्यों से कहा कि वोट करने के लिए जरूर जाएं। बता दें कि जम्मू-कश्मीर में आखिरी बार विधानसभा चुनाव 2014 में हुआ था।

2014 के बाद अब होंगे विधानसभा चुनाव

5 अगस्त, 2019 को केंद्र सरकार ने आर्टिकल 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को दिए गए स्पेशल स्टेटस को खत्म कर दिया और इसे दो केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांट दिया। पिछले साल दिसंबर में सुप्रीम कोर्ट ने जल्द से जल्द राज्य का दर्जा देने और 30 सितंबर तक चुनाव कराने का निर्देश दिया था।

बकरवाल समुदाय के सदस्य अब्दुल कयूम लंबे इंतजार के बाद हो रहे चुनावों में हिस्सा लेने के लिए काफी खुश हैं। उन्होंने कहा कि हमारा समुदाय कई मुद्दों का सामना कर रहा है। इसमें शैक्षिक से लेकर सामाजिक तरीके के सभी मुद्दे शामिल हैं। हमें उम्मीद है कि नई सरकार हमारे विकास के लिए कुछ काम करेगी। हाल ही में हुए लोकसभा इलेक्शन के दौरान सैकड़ों गुज्जर और बकरवाल अपने वोट डालने के लिए राजौरी और पुंछ के जुड़वां जिलों में अपने मतदान केंद्रों तक लंबी दूरी तय करके गए थे। चुनाव आयोग के एसवीईईपी कार्यक्रम के तहत पूरे केंद्रशासित प्रदेश में चुनावी जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए अभियान भी चलाया है।