जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और उनके मंत्रिमंडल के तीन सहयोगियों सहित 144 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला कल होने वाले मतदान में तय होगा। तीसरे चरण के तहत बडगाम, पुलवामा और बारामूला जिलों की 16 सीटों पर कल मतदान होना है। घाटी में शुक्रवार को हुई हिंसा को देखते हुए सभी तीन जिलों में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गयी है। चार हमलों में 11 सुरक्षाकर्मियों और आठ आतंकवादियों सहित 21 लोग मारे गए थे।

सबकी निगाहें, उरी और त्राल विधानसभा सीटों पर लगी हैं जहां चुनाव से पहले आतंकवादियों ने हिंसा की है। राज्य में पहले दो चरण के मतदान में, अलगाववादियों और आतंकवादी संगठनों के बहिष्कार के आह्वान को दरकिनार करते हुए मतदाता बड़ी संख्या में बाहर निकले और रिकॉर्ड 70 प्रतिशत मतदान हुआ।
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है क्योंकि इसके पास इन 16 में से नौ सीटें थीं जहां 13.69 लाख मतदाताओं में से 6.51 लाख महिला मतदाता हैं।

तीसरे दौर के मतदान में मुख्यमंत्री और उनके मंत्रिमंडल के तीन सहयोगियों तथा दस अन्य वर्तमान विधायकों सहित कुल 144 प्रत्याशी मैदान में हैं। क्षेत्र में 1,781 मतदान केन्द्र बनाए गये हैं।

गांदरबल के अपने परिवार की पारंपरिक सीट के बजाय बडगाम के बीरवाह से चुनाव लड़ रहे उमर को उम्मीद है कि हाल ही में उनकी सरकार द्वारा इलाके के लिए उठाए गये कदमों से उन्हें चुनाव में इस सीट से जीत हासिल करने में मदद मिलेगी। पिछले दो बार से इस सीट से पीडीपी के प्रत्याशी चुनाव जीतते आए हैं।
उमर सरकार ने स्थानीय लोगों के विरोध के चलते फायरिंग रेंज के तौर पर इस्तेमाल किये जा रहे बीरवाह विधानसभा क्षेत्र के अन्तर्गत आने वाले तोसामैदान को सेना को आगे पट्टे पर नहीं देने का निर्णय लिया था। उन्होंने आश्वासन दिया कि इलाके में बिछाये गये गोलों को सेना हटा लेगी। पिछले दो दशक के दौरान इन गोलों के कारण 60 से अधिक लोगों की जान गई है ।

सोनावर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे नेशनल कान्फ्रेंस के कार्यकारी अध्यक्ष उमर अब्दुल्ला पिछले महीने जब इस सीट से अपना नामांकन पत्र भरने गये थे तो उनका गर्मजोशी के साथ स्वागत किया गया था।

विधानसभा में दूसरी बार जाने के लिए चुनाव लड़ रहे उमर को पीडीपी के विधायक मोहम्मद शफी वानी और कांग्रेस प्रत्याशी नजीर अहमद खान से कड़ी चुनौती मिल रही है जिनके पिता सरफराज खान ने पीडीपी के प्रत्याशी के तौर पर बीरवाह से 2002 में चुनाव जीता था।

पीडीपी, 16 में से नौ सीटों पर काबिज है जबकि नेकां के पास केवल चार सीटें हैं। पिछले चुनाव में कांग्रेस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक फ्रंट के खाते में एक-एक सीट आयी थी जबकि एक सीट पर निर्दलीय ने जीत हासिल की थी।
पीडीपी ने अपने छह विधायकों को मैदान में उतारा है जबकि 2008 में चुनाव जीतने वाले अपने तीन विधायकों की जगह तीन नये चेहरों को मौका दिया है।