जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में तीन वीरों के शहीद होने के बाद जमीन पर तनाव काफी बढ़ चुका है। इस समय अनंतनाग में सेना का आतंकियों के साथ भीषण एनकाउंटर जारी है। इस बीच डीजीपी ने साफ कर दिया है कि कल तक सुनिश्चित किया जाएगा कि सभी आतंकियों का सफाया कर दिया जाए, यानी कि शहादत का बदला लेने की पूरी तैयारी कर ली गई है।
कैसे हुआ था अनंतनाग हमला?
अब जानकारी के लिए बता दें कि 12 और 13 सितंबर को ऐसे इनपुट मिले थे कि अनंतनाग में कुछ आतंकी छिपे हुए हैं। उस इनपुट के आधार पर ही सेना और पुलिस दोनों जमीन पर सक्रिय हो गईं और उनकी तरफ से एक संयुक्त ऑपरेशन चलाया गया। अब जिस समय तलाशी अभियान चलाया गया, कुछ आतंकियों ने अचानक से फायरिंग कर दी और उस गोलीबारी में कर्नल मनप्रीत सिंह, मेजर आशीष और जम्मू कश्मीर पुलिस के डिप्टी एसपी हुमायूं भट गंभीर रूप से जख्मी हो गए। उन्हें तुरंत अस्पताल में भर्ती करवाया गया, लेकिन खून इतना बह चुका था कि तीनों में से किसी भी वीर सपूत को नहीं बचाया जा सका।
अब उनकी शहादत का बदला लेने के लिए अनंतनाग में सुरक्षाबलों की मुस्तैदी काफी ज्यादा बढ़ चुकी है। बताया जा रहा है कि कुछ आतंकियों को घेर लिया गया है और उनके साथ मुठभेड़ जारी है। डीजीपी का कहना है कि वे जल्द ही सभी आतंकियों का सफाया कर देंगे। वैसे इस हमले की जिम्मेदारी द रजिस्टेंस फोर्स (TRF) ने ली है। इस संगठन को लश्कर-ए-तैयबा का रिक्रूटर कहा जाता है। इस आर्टिकल में हम आपको इस संगठन के बारे में पूरा जानकारी देंगे।
किसने ली हमले की जिम्मेदारी?
आतंकी संगठन टीआरएफ का वजूद 2019 में आया। यह पाकिस्तानी आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का एक मोहरा है। यानी लश्कर-ए-तैयबा इस संगठन के जरिए कई अपने आतंकी मंसूबे को पूरा करती है। यह संगठन युवाओं का माइंडवॉश कर उनको बहका कर आंतकी संगठनों में शामिल करने का काम करती है। पाकिस्तान से होनी वाली घुसपैठ के लिए भी इसी आंतकी संगठन को जिम्मेदार माना जाता है।