Jammu Kashmir: जम्मू और कश्मीर प्रशासन ने पिछले 13 सालों से प्रदेश में अवैध तरीके से रह रहे विदेशी लोगों की पहचान करने के लिए सात सदस्यों का एक पैनल बनाया है। इसका उद्देश्य उन सभी लोगों की डिपोर्ट करने की सुविधा देना होगा। पैनल को अवैध प्रवासियों की बायोग्राफिक और बायोमेट्रिक डिटेल इकट्ठा करने और उसका डिजिटल रिकॉर्ड बनाने का काम दिया गया है।
गृह विभाग के मुख्य सचिव चंद्राकर भारती ने एक आदेश में कहा कि 2011 से केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में अवैध तौर पर रहने वाले विदेशी लोगों की पहचान करने के लिए समिति को फिर से गठित करने को मंजूरी दी गई है। इस पैनल की अध्यक्षता गृह विभाग के प्रशासनिक सचिव करेंगे। वहीं, अगर बाकी सदस्यों की बात करें तो इनमें पंजाब के एफआरआरओ, जम्मू और श्रीनगर हेडक्वार्टर की स्पेशल ब्रांच के अधिकारी, एनआईसी के साथ सभी जिला एसएसपी और एसपी (Foreigners Registration) शामिल है।
हर महीने की पांच तारीख को सौंपनी होगी रिपोर्ट
आदेश के मुताबिक, पैनल को मासिक रिपोर्ट तैयार करके हर महीने की पांच तारीख तक केंद्रीय गृह मंत्रालय को सौंपनी होगी। गृह विभाग ने पैनल को केंद्र शासित प्रदेश में अवैध रूप से रहने वाले विदेशी लोगों का पता लगाने और उन्हें डिपोर्ट करने के संबंध में की गई कोशिशों और निगरानी करने का भी निर्देश दिया है। इन सबके अलावा पैनल गृह विभाग को रिपोर्ट भी करेगा। इतना ही नहीं आदेश में यह भी कहा गया कि पैनल अलग-अलग कोर्ट में चल रहे केस की जानकारी भी देगा।
आदेश में कहा गया है कि नोडल अधिकारी अवैध प्रवासियों के बायोग्राफिक और बायोमेट्रिक डेटा इकट्ठा करने की निगरानी करेगा। स्टेटस रिपोर्ट भी इकट्ठा करेगा और जम्मू-कश्मीर में अवैध तरीके से रहने वाले लोगों का ताजा डिजिटल रिकॉर्ड बनाए रखेगा। बता दें कि साल 2021 में जम्मू और कश्मीर पुलिस ने अवैध अप्रवासियों के खिलाफ एक अभियान चलाया था। इसमें कठुआ जिले के हीरानगर की जेल में 74 महिलाओं और 70 बच्चों समेत म्यांमार के 270 से ज्यादा रोहिंग्याओं को हिरासत में लिया गया।
भारत में कितने रोहिंग्या
केंद्रीय गृह मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 40 हजार रोहिंग्या गैरकानूनी तौर पर रह रहे हैं। ज्यादातर रोहिंग्या मुसलमान इस वक्त जम्मू कश्मीर, हैदराबाद, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली-एनसीआर और राजस्थान में रहते हैं।