रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) के सीनियर डिविजनल सिक्योरिटी कमिश्नर कार्यालय की तरफ से कथित रूप से एक पत्र जारी होने के बाद कश्मीर घाटी के लोगों में हड़कंप मचा हुआ है। इस पत्र में कश्मीर घाटी में आपात स्थिति का हवाला देते हुए कर्मचारियों से राशन-पानी जमा करने और अपने परिवार को कश्मीर में नहीं रखने को कहा गया है।
इसमें ‘आपातकालीन स्थिति’ का हवाला देते हुए छुट्टियों पर रोक की बात कही है। रेल मंत्रालय ने तुरंत इस पत्र का ‘खारिज’ करते हुए कहा कि संबंधित अधिकारी इस तरह का पत्र जारी करने के लिए अधिकृत नहीं है। साथ ही उसने ऐसा करने के लिए सक्षम प्राधिकारी से अनुमति भी नहीं ली है।
रेल मंत्रालय की तरफ से स्पष्टीकरण जारी होने के बाद फिरोजपुर रेलवे डिविजन के सीनियर डिविजनल सुरक्षा अधिकारी पिछले सप्ताह एक साल की स्टडी लीव पर चले गए हैं। पत्र के अनुसार, ‘ विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों की तरफ से मिले इनपुट के बाद आरपीएफ बडगाम के सहायक सुरक्षा आयुक्त सुदेश नुग्याल की अध्यक्षता में 27 जुलाई को ‘ऐहतियातन सुरक्षा बैठक’ बुलाई गई। इसमें कश्मीर घाटी में बिगड़ती स्थिती का अंदेशा जताया गया। साथ ही कश्मी में लंबे समय से कानून और व्यवस्था के मुद्दे को उठाया गया।’
जब इस बारे में बैठक की अध्यक्षता करने वाले एएससी नुग्याल से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा, ‘यह लेटर हमारी तरफ से जारी नहीं किया गया है। यह फर्जी लेटर है और हमारा इससे कोई लेना-देना नहीं है… ऐसा कुछ भी नहीं है और घाटी में स्थिति बिल्कुल सामान्य है।’
इस मामले में आरपीएफ के महानिदेशक अरुण कुमार ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा, ‘ वह अधिकारी किसी भी सुरक्षा एजेंसियों से इनपुट प्राप्त करने का अधिकार नहीं रखता है। सुरक्षा एजेंसियों व बाहर से मिलने वाले सिक्योरिटी एडवाइजरी और अलर्ट उस तक नहीं जाते हैं। इसलिए इस तरह के पत्र का कोई आधार ही नहीं है।’
उत्तर रेलवे के महानिदेश सोमवार को श्रीनगर जाएंगे और इस बारे में संबंधित अधिकारी से बात करेंगे। वे पूछेंगे कि इस तरह का पत्र क्यों जारी किया गया है। उत्तर रेलवे के आरपीएफ आईजी संजय सांकृत्यायन ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, ‘मुझे भी वाट्सएप पर यह लेटर मिला है। हम इस बारे में पता लगा रहे हैं और जांच कर रहे हैं कि किसने यह पत्र जारी किया है… लेकिन मेरा कहना है कि इसका कोई आधार नहीं है।’ इस बारे में रेलवे की प्रवक्त स्मिता वत्स ने कहा कि यह पत्र अधिकारी की अपनी धारणा के आधार पर जारी किया गया है जिसका कोई आधार नहीं है।