देश में एक और बैंक पर संकट मंडराता नजर आ रहा है। जम्मू एंड कश्मीर बैंक ने अपने 2800 कर्मचारियों का वेतन रोक दिया है। यह कर्मचारी 6 साल के अंदर भर्ती हुए हैं। स्थानीय मीडिया के मुताबिक बैंक ने उन कर्मचारियों की जून महीने की सैलरी रोकी है जिनका नाम जांच कर रही एंटी करप्शन ब्यूरो की लिस्ट में है।
आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि यह वास्तव में हमारा निर्णय नहीं है। यह जम्मू-कश्मीर बैंक के कॉर्पोरेट कार्यालय में एसीबी की छापेमारी से संबंधित है जब उन्होंने पिछले साल कुछ फाइलों का अधिग्रहण किया था। हमने एंटी करप्शन कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और उन फाइलों की फोटोकॉपी मांगी। अदालत ने हमारी प्रार्थना को स्वीकार कर लिया और कहा कि इन कर्मचारियों की सैलरी रोकी जानी चाहिए। जम्मू-कश्मीर बैंक के आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि वे इन कर्मचारियों के वेतन जारी करने के लिए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटा रहे हैं। वेतन रोके जाने से कर्मचारियों में डर का माहौल है।
बैंक के एक अधिकारी ने कहा, “वर्तमान में हम उनका वेतन जारी नहीं कर पा रहे हैं, लेकिन कोई चिंता नहीं है, हम इसका पालन कर रहे हैं, हमने पहले ही अदालत का दरवाजा खटखटाया है और यकीन है कि इस मुद्दे को कुछ दिनों में सुलझा लिया जाएगा।”
जे एंड के बैंक लिमिटेड के वाइस प्रेसीडेंट फारूक अहमद कानून ने यह स्वीकार किया कि कर्मचारियों को उनका वेतन नहीं मिला है। उन्होंने स्पष्ट किया कि एसीबी द्वारा संस्था से जुड़े कुछ मामले की जांच शुरू करने के बाद वेतन रोक दिया गया है, लेकिन हमने अदालत का दरवाजा खटखटाया है। उम्मीद है कि इस मुद्दे को जल्द ही सुलझा लिया जाएगा।
वहीं दूसरी तरफ, एक आरटीआई के जवाब में जम्मू और कश्मीर बैंक लिमिटेड ने आरटीआई कार्यकर्ता को बैंकिंग सहयोगियों (1,200) और परिवीक्षाधीन अधिकारियों (250) के 1,450 पदों के लिए मेरिट सूची देने से करने से मना कर दिया है। प्रख्यात सामाजिक कार्यकर्ता सुकेश सी खजूरिया की आरटीआई आवेदन किया था। उन्होंने बैंकिंग सहयोगियों और परिवीक्षाधीन अधिकारियों के पद के लिए लिखित परीक्षा में उपस्थित हुए सभी उम्मीदवारों की मेरिट सूची / परिणाम शीट की एक प्रति मांगी थी। आईबीपीएस द्वारा कराई जाने वाली इस परीक्षा जेएंडके बैंक का कहना है कि आवेदक द्वारा पूछी गई जानकारी नहीं है।