जम्मू और कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अबदुल्ला ने राज्य की विधानसभा भंग होने को लेकर कहा है कि वह पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की नेता और सूबे की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की कोर्ट में किसी प्रकार की मदद नहीं कर सकते हैं। गुरुवार (22 नवंबर) को वह प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोले, “कानूनी तौर पर हम इस मसले को लेकर केस नहीं कर सकते। हमारे पास कोई दस्तावेज नहीं है, जिससे साबित किया जा सके कि हमारी बात को राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने नजरअंदाज कर दिया। मेरी इस बारे में पीडीपी से बात भी हुई थी। अब यह पीडीपी पर निर्भर करता है कि वह इस मसले को लेकर कानूनी कदम उठाएगी या नहीं। मैं इसमें किसी प्रकार का सबूत या दस्तावेज नहीं मुहैया कराऊंगा।”
अबदुल्ला के मुताबिक, “किसी से कभी सुझाव भी नहीं दिया था कि हम चुनाव साथ में लड़ेंगे। यह व्यवस्था राज्य को मौजूदा समस्या से बचाने के लिए की गई थी। मुझे नहीं लगता है कि नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी और कांग्रेस के साथ आकर चुनाव लड़ने से राज्य को किसी प्रकार का फायदा होगा, क्योंकि विपक्ष का होना भी बेहद जरूरी है।”
बकौल नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता, “हम साल 1987 जैसी स्थिति नहीं पैदा करना चाहते हैं, जहां दिवाली पर सारे राजनीतिक दल साथ आ जाते थे। जैसा कि कल मैं टि्वटर पर महबूबा जी से कह चुका हूं कि हमें ये लड़ाई किसी और दिन लड़नी होगी, जिसके लिए उन्हें भी शुभकामनाएं और हमें भी।” इससे पहले, फैक्स विवाद पर वह बोले थे, “ऐसा पहली बार हुआ है, जब फैक्स मशीन बंद पड़ी हो और लोकतंत्र की हत्या के लिए जिम्मेदार बनी हो। यह फैक्स मशीन एक तरफा मशीन है, जिससे सिर्फ फैक्स दूसरों को जाते हैं। आते नहीं। यह अनोखी फैक्स मशीन है, जिसकी जांच कराई जानी चाहिए।”
आपको बता दें कि बुधवार (21 नवंबर) को राज्य में भयंकर राजनीतिक ड्रामा चला। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के साथ बीती सरकार में सहयोगी रही पीडीपी ने कांग्रेस और घोर विपक्षी पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस संग मिलकर सरकार बनाने की कोशिश की। राज भवन को इसी से जुड़ा एक फैक्स भेजा गया। पर राज भवन का कहना है कि यह फैक्स उसे मिला ही नहीं।
स्थगित अवस्था में चल रही विस को कल राज्यपाल सत्यापाल मलिक ने भंग कर दिया था, जबकि 19 जून को बीजेपी-पीडीपी गठबंधन की सीएम महबूबा ने इस्तीफा दिया था। वहां इसके बाद राज्यपाल शासन लागू किया गया था। बाद में बीजेपी ने पीपीडी से समर्थन वापस ले लिया था। नतीजतन वहां राज्यपाल शासन लगाया गया।