जामिया मिलिया इस्लामिया ने गुरुवार को केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय को पत्र लिखकर सुदर्शन न्यूज चैनल और इसके प्रधान संपादक सुरेश चव्हाणके के खिलाफ विश्वविद्यालय की छवि को धूमिल करने के लिए कार्रवाई करने की मांग की है। चव्हाणके ने अपने शो का एक ट्रेलर ट्वीट किया था, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि इस शो के माध्यम से 26 अगस्त को हैशटैग ‘यूपीएससी जिहाद’ के साथ सिविल सेवाओं में “मुसलमानों की घुसपैठ” का “पर्दाफाश” किया गया था। वीडियो में, उन्होंने जामिया आवासीय कोचिंग अकादमी (आरसीए) से पास होकर यूपीएससी क्लियर करने वाले छात्रों को “जामिया के जिहादी” बताया था।
गुरुवार को चव्हाणके ने एक ट्वीट करते हुए वीडियो साझा किया था। इस वीडियो में वह कहते हैं, अचानक मुसलमान आईएएस, आईपीएस में कैसे बढ़ गए? ‘सोचिये, जामिया के जिहादी अगर आपके जिलाधिकारी और हर मंत्रालय में सचिव होंगे तो क्या होगा?’ जामिया के पीआरओ अहमद अज़ीम ने कहा “हमने शिक्षा मंत्रालय को पूरे प्रकरण की जानकारी देते हुए उनसे उचित कार्रवाई करने का अनुरोध किया है। हमने उन्हें बताया कि सुदर्शन चैनल ने न केवल जेएमआई और एक विशेष समुदाय की छवि को धूमिल करने की कोशिश की है, बल्कि यूपीएससी की छवि को भी खराब किया है।”
जामिया की वीसी नजमा अख्तर ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि विश्वविद्यालय इस मुद्दे पर अदालत नहीं जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि चव्हाणके ने जिहादी की एक नई “धर्मनिरपेक्ष परिभाषा” दी है। “हम उन्हें बहुत अधिक महत्व नहीं देना चाहते हैं। जहां तक हमारे छात्रों का संबंध है, आरसीए के 30 छात्रों को इस बार चुना गया है, जिनमें से 16 मुस्लिम और 14 हिंदू हैं। चूँकि वे सभी जिहादी कहलाते थे, इसका मतलब 16 मुस्लिम जिहादी थे और 14 अन्य हिंदू जिहादी थे। भारत को जिहादियों की नई धर्मनिरपेक्ष परिभाषा दी गई है।”
जामिया टीचर्स एसोसिएशन ने प्रशासन से सुरेश चव्हाणके के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर करने की मांग की है। टीचर्स एसोसिएशन का कहना है कि सुरेश चव्हाणके द्वारा भारतीय विरोधी और जेएमआई विरोधी टिप्पणी कि गई है, सुदर्शन न्यूज के उक्त सीएमडी ने कई अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल किया है, जो खुले तौर पर उकसाता है, साथी नागरिकों के खिलाफ जहर उगलता है और लोगों को विभाजित करने की कोशिश करते है।”