कोरोना महामारी के बीच जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी अपने यहां प्रोक्टेड ऑनलाइन सेमेस्टर परीक्षा आयोजित करने जा रहा है। यूनिवर्सिटी ने छात्रों से परीक्षा के लिए लैपटॉप, बिजली और इंटरनेट का इंतजाम करने को कहा है। जिसके चलते छात्र परेशान हैं। छात्रों का कहना है कि उनके पास इस परीक्षा को लिखने के लिए उचित उपकरण और इंटरनेट कनेक्टिविटी की सुविधा नहीं है।
गुरुवार को जारी किए गए दिशानिर्देशों में कहा गया है कि छात्रों को तीन घंटे की परीक्षा के लिए कंप्यूटर या लैपटॉप, एक स्थिर इंटरनेट-कनेक्शन और बिजली कि व्यवस्था करनी है। उन्हें फ़ायरफ़ॉक्स ब्राउज़र के नवीनतम संस्करण, एक स्थिर इंटरनेट कनेक्शन और एक वेब कैमरा के साथ विंडोज लैपटॉप या कंप्यूटर का उपयोग करके परीक्षा के लिए उपस्थित होने हो कहा गया है।
कुछ स्टूडेंट्स ने इसका विरोध किया है और भेदभाव का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि स्टूडेंट्स को अन्य बातों के अलावा, उन्हें अपने वेबकैम और माइक्रोफोन तक पहुंच प्रदान करने की आवश्यकता है। विरोध करने वाले स्टूडेंट्स ने डीन को लिखा है कि छात्रों के कल्याण के लिए उसकी जगह असाइनमेंट के आधार पर स्टूडेंट्स का मूल्यांकन किया जाए।
कई छात्रों का कहना है कि सभी के पास लैपटॉप, इंटरनेट कनेक्टिविटी, स्मार्टफोन या स्थिर बिजली नहीं है। उन्होंने कहा है कि परीक्षा का यह तरीका उन कई छात्रों के लिए भेदभावपूर्ण और अन्यायपूर्ण है, जो ग्रामीण पृष्ठभूमि, समाज के निचले वर्गों या जम्मू और कश्मीर जैसे अत्यधिक अस्थिर इंटरनेट कनेक्टिविटी वाले क्षेत्रों से आते हैं।
विरोध करने वाले स्टूडेंट्स ने कुलपति को एक ज्ञापन दिया है जिसमें प्रोक्टेड ऑनलाइन परीक्षा को वापस लेने को कहा गया है। उन्होंने आगे कहा कि प्रोक्टेड ऑनलाइन परीक्षा के लिए ने लेकल फास्ट इंटरनेट, वेबकैम और माइक्रोफोन की आवश्यकता होगी। जम्मू कश्मीर, पूर्वोत्तर भारत सहित अन्य राज्यों में जहां इंटरनेट की सुविधा नहीं है वहां के परीक्षार्थियों को कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है।