सामाजिक-धार्मिक संगठन जमात-ए-इस्लामी हिंद (JIH) ने शनिवार को लोकसभा चुनाव को “घृणा और विभाजनकारी राजनीति” के खिलाफ जनादेश बताया और कहा कि जेडी(यू) और टीडीपी समेत बीजेपी के सहयोगियों की जिम्मेदारी है कि वे बीजेपी के विभाजनकारी एजेंडे और देश के किसी भी वर्ग के साथ अन्याय का विरोध करें। संगठन के प्रमुख ने कहा कि सभी राजनीतिक दलों की जिम्मेदारी है कि वे जनादेश के संदेश को समझें और आत्मनिरीक्षण करें।
पत्रकारों से बात करते हुए जेआईएच प्रमुख सैयद सदातुल्ला हुसैनी ने कहा कि नई सरकार एनडीए गुट की है न कि बीजेपी की। हुसैनी ने कहा है कि टीडीपी और जेडी(यू) ने अपने घोषणापत्र में समावेशी नीतियों, सभी के लिए न्याय और विभाजनकारी एजेंडे का विरोध करने की बात कही है। उन्हें बीजेपी के विभाजनकारी एजेंडे का विरोध करना चाहिए।
जनता के लिए कड़ी चेतावनी का संकेत
उत्तर प्रदेश के चुनाव परिणामों का उल्लेख करते हुए जमात-ए-इस्लामी हिंद के चीफ ने कहा है कि बीजेपी की हार सांप्रदायिक नफरत भरे भाषणों, बुलडोजर की राजनीति और विभाजनकारी राजनीति के खिलाफ संदेश है। वहीं महाराष्ट्र को लेकर उन्होंने कहा है कि हमने ‘जोड़-तोड़ की सियासत’, विपक्षी दलों को तोड़ने और ईडी के दुरुपयोग के खिलाफ कड़ा संदेश दिया है।
जेएईएच के प्रमुख ने कहा है कि सत्तारूढ़ पार्टी को सरकार बनाने का एक और मौका मिला है, लेकिन कड़ी चेतावनी के साथ, प्रधानमंत्री, उनकी कैबिनेट और सत्तारूढ़ पार्टी को यह समझना चाहिए और आत्मनिरीक्षण करना चाहिए। दिल्ली का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा है कि कई जगह कांग्रेस-आप गठबंधन बीजेपी से चुनाव हार गया।
हुसैनी ने कहा कि कई क्षेत्रों में विपक्षी उम्मीदवारों और मतदाताओं के बीच काफी दूरी थी। हुसैनी ने कहा कि फैजाबाद में सपा द्वारा बीजेपी मिली हार से पता चलता है कि बीजेपी को मंदिर-मस्जिद राजनीति को खारिज कर दिया है।
इसके अलावा जेआईएच के उपाध्यक्ष मोहम्मद सलीम इंजीनियर ने कहा कि नई लोकसभा में मुसलमानों का प्रतिनिधित्व केवल 4.4% है, उपाध्यक्ष मलिक मोतसिम खान ने बीएसपी सांसद कुंवर दानिश अली के निलंबन का हवाला देते हुए कहा कि सांसदों को अपनी राय व्यक्त करने की स्वतंत्रता के साथ गुणवत्तापूर्ण प्रतिनिधित्व अधिक महत्वपूर्ण है।