Har Ghar Jal Expenditure: राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के द्वारा जल जीवन मिशन डेशबोर्ड में जो आंकड़े दिए गए हैं, उनकी जांच से एक अहम जानकारी सामने आई है। द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, जानकारी यह है कि जल जीवन मिशन की टेंडर गाइडलाइंस में तीन साल पहले अहम बदलाव किया गया और इससे खर्च को लेकर लगाई गई पाबंदी हट गई। इस वजह से लागत में बढ़ोतरी हुई है। 

इस बदलाव की वजह से 14,586 योजनाओं में 16,839 करोड़ रुपए की अतिरिक्त लागत आई है और यह अनुमानित लागत से 14.58% ज्यादा है।

पिछले कुछ महीनों में द इंडियन एक्सप्रेस ने 1 लाख से अधिक योजनाओं की जांच की है। इन सभी के लिए काम के आदेश 21 जून, 2022 के बाद जारी किए गए थे और तभी नियमों में भी बदलाव हुआ था।

काम की समीक्षा के लिए टीमें भेजी

बताना जरूरी होगा कि केंद्र सरकार ने हाल ही में 29 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 135 जिलों में निरीक्षण के लिए टीमें भेजने का फैसला किया था। इसके पीछे वजह यह थी कि जल जीवन मिशन के तहत किए जाने वाले कामों की समीक्षा की जा सके।

दिसंबर, 2019 में जारी गाइडलाइंस में कहा गया था कि जितनी भी लागत मंजूर की गई है, उसमें अगर कोई भी बढ़ोतरी होती है तो उसे संबंधित राज्य या केंद्र शासित प्रदेश की सरकार वहन करेगी और केंद्र के हिस्से से अतिरिक्त खर्च की अनुमति नहीं दी जाएगी।

पांच राज्य जहां अनुमानित लागत से ज्यादा खर्च हुआ

Jal Jeevan Mission, drinking water, individual tap connections

एक अहम बात यह है कि 2019 की गाइडलाइंस यानी पुरानी गाइडलाइंस में “टेंडर प्रीमियम” “tender premium” को “अस्वीकार्य खर्चों” “inadmissible expenses” की सूची में शामिल किया गया था। टेंडर प्रीमियम का मतलब है कि बोली लगाने वाला सरकार द्वारा अनुमानित लागत से अधिक राशि की मांग करता है।

इसे दूसरे शब्दों में कहें तो पुरानी गाइडलाइंस के मुताबिक, राज्यों को इस बात की इजाजत नहीं थी कि वे केंद्र सरकार के फंड का इस्तेमाल अनुमानित लागत से ज्यादा के वर्क टेंडर देने के लिए कर सकें।

“टेंडर प्रीमियम” शब्द को हटा दिया

21 जून, 2022 को जल शक्ति मंत्रालय ने “टेंडर प्रीमियम” शब्द को “inadmissible expenses” की सूची से हटा दिया। मंत्रालय की ओर से जारी की गई नई गाइडलाइंस में कहा गया कि “स्वीकृत लागत” वही होगी जिसे एक खुली, पारदर्शी और प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया से तय किया जाएगा और यह मौजूदा नियमों के अनुसार ही होगी।

नई गाइडलाइंस में इस बात को भी कहा गया कि जहां पर भी स्वीकृत लागत टेंडर के लिए अनुमानित लागत से 10 से 25% ज्यादा है, उसके लिए किसी भी टेंडर को आमंत्रित किए जाने से पहले State Level Scheme Sanctioning Committee (SLSSC) से मंजूरी लेनी होगी।

जल जीवन मिशन पर केंद्र की सीधी नजर, 29 राज्यों की 183 योजनाएं जांच के दायरे में

मंत्रालय ने नहीं दिया जवाब

द इंडियन एक्सप्रेस ने जल शक्ति मंत्रालय को इन गाइडलाइंस में किए गए बदलाव को लेकर ई-मेल भेजकर सवाल पूछे थे लेकिन मंत्रालय की ओर से इनका जवाब नहीं दिया गया। मंत्रालय के सूत्रों ने कहा है कि गाइडलाइंस में इसलिए बदलाव किया गया था क्योंकि मध्य प्रदेश और राजस्थान सहित कई राज्यों की सरकारों ने कोरोना महामारी के चलते खर्च में बढ़ोतरी होने की मांग मंत्रालय के सामने रखी थी।

फंड में 46% कटौती का प्रस्ताव

याद दिलाना जरूरी होगा कि जल शक्ति मंत्रालय ने इस परियोजना के लिए 2.79 लाख करोड़ रुपए का फंड मांगा था लेकिन Expenditure Finance Committee (EFC) ने सिर्फ 1.51 लाख करोड़ के फंड की सिफारिश की गई। EFC की ओर से केंद्र के द्वारा मांगे गए फंड में 46% कटौती का प्रस्ताव रखा गया है।

PM मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट ‘हर घर जल’ की फंडिंग में कटौती का प्रस्ताव

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त, 2019 को जल जीवन मिशन का ऐलान किया था। इसके तहत लक्ष्य रखा गया था कि 16 करोड़ ग्रामीण परिवारों को नल से जल उपलब्ध कराया जाएगा। इसे ‘हर घर जल’ कार्यक्रम का नाम दिया गया था। द इंडियन एक्सप्रेस ने हाल ही में खबर दी थी कि पांच सालों में इसका केवल 75 प्रतिशत लक्ष्य ही हासिल किया जा सका है। अब बचे हुए 4 करोड़ नल कनेक्शन 31 दिसंबर, 2028 तक देने का प्रस्ताव है।

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