Jal Jeevan Mission Corruption: देश के ग्रामीण इलाकों में पेयजल उपलब्ध कराना मोदी सरकार का एक बड़ा मिशन है। इस अहम उद्देश्य के लिए ही सरकार ने जल जीवन मिशन शुरू किया था। इस योजना के कार्यान्वयन में अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के मामलों ने केंद्र सरकार के कान खड़े कर दिए हैं। केंद्र ने राज्यों को सीबीआई लोकायुक्त और भ्रष्टाचार विरोधी विभागों द्वारा दर्ज भ्रष्टाचार के मामलों की जानकारी देने का निर्देश दिया है।
जल जीवन मिशन में अनियमितता और भ्रष्टाचार के मामले में केवल भ्रष्ट अधिकारियों ही नहीं बल्कि इस पूरे नेक्सस से जुड़े ठेकेदारों के खिलाफ भी की गई कार्रवाई की जानकारी भी मांगी है। इसको लेकर जल शक्ति मंत्रालय के पेयजल और स्वच्छता विभाग का निर्देश विभाग की एक टॉप लेवल समीक्षा बैठक के बाद आया है। इस समीक्षा बैठक के तहत अधिकारयों ने केंद्रीय बजट में घोषित 2028 तक योजना के विस्तार पर चर्चा की।
केंद्र ने की समीक्षा, तय की जवाबदेही
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक राज्य स्तर पर किए गए जल जीवन मिशन कार्यों की समीक्षा और जवाबदेही तय करने के लिए दोषी अधिकारियों और ठेकेदारों के खिलाफ की गई कार्रवाई,की जानकारी मानी है। अभी इसके विस्तार पर समीक्षा हो रही है। इसे अभी केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा अनुमोदित किया जाना चाहिए।
21 मई को द इंडियन एक्सप्रेस ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा जेजेएम डैशबोर्ड पर अपलोड किए गए आंकड़ों की अपनी जाँच के निष्कर्ष प्रकाशित किए, जिससे पता चला कि कैसे तीन साल पहले मिशन के दिशानिर्देशों में किए गए बदलावों ने खर्च पर एक महत्वपूर्ण नियंत्रण हटा दिया और लागत में वृद्धि हुई।
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20 अक्टूबर तक रिपोर्ट देने को कहा
इस जांच में पाया गया कि इसके परिणामस्वरूप 14,586 योजनाओं पर कुल 16,839 करोड़ रुपये की अतिरिक्त लागत आई, जो उनकी अनुमानित लागत से 14.58 प्रतिशत अधिक है। 10 अक्टूबर को भेजे गए अपने निर्देश में डीडीडब्ल्यूएस ने राज्यों के मुख्य सचिवों से 20 अक्टूबर तक अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा।
सूत्रों के अनुसार राज्यों से कहा गया है कि जेजेएम परियोजनाओं में कार्य की खराब गुणवत्ता या वित्तीय अनियमितताओं से संबंधित शिकायतों के संबंध में लोक स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग (पीएचईडी) के अधिकारियों के खिलाफ की गई कार्रवाई का विवरण प्रदान करें जिसमें निलंबन और निष्कासन, या एफआईआर शुरू करना शामिल है।
इसके अलावा यह भी कहा गया कि ठेकेदारों और तृतीय पक्ष निरीक्षण एजेंसियों (टीपीआईए) के खिलाफ की गई कार्रवाई की स्थिति की रिपोर्ट साझा करें। इसमें लगाया गया जुर्माना, ब्लैक लिस्ट में डाले गए लोगों की संख्या भी मांगी गई है।
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कौन-कौन सी मांगे जानकारी
केंद्र ने राज्य से कहा कि ऐसे मामलों की जांच करें जहां धन के दुरुपयोग या वित्तीय अनियमितताओं के सार्वजनिक आरोप लगाए गए हैं और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित करें। प्रत्येक मामले के लिए जहां एफआईआर दर्ज की गई है, एक अलग विस्तृत एक पृष्ठ रिपोर्ट भेजें।
इसके अलावा वित्तीय अनियमितताओं और कार्य की गुणवत्ता के संबंध में स्वप्रेरणा से दर्ज की गई, मीडिया द्वारा उजागर की गई, विधायकों से प्राप्त हुई या लोक शिकायत पोर्टलों पर दर्ज की गई शिकायतों की संख्या बताने को भी कहा है। केंद्र ने राज्यों से कहा कि वे डेटा की समीक्षा करें और “ग्राउंड ट्रुथिंग” अभ्यास करें। इसके अलावा यदि कोई समस्या पाई जाती है तो राजकोष को हुई वित्तीय हानि की वसूली योजना का उल्लेख करें।
क्या है जल जीवन मिशन योजना?
बता दें कि 2019 में जल जीवन मिशन की शुरुआत की थी। उस समय, मंत्रालय ने कहा था कि देश के 17.87 करोड़ ग्रामीण परिवारों में से लगभग 14.6 करोड़ (81.67%) के पास नल कनेक्शन नहीं हैं। इसके लिए कुल 3.60 लाख करोड़ रुपये का आवंटन निर्धारित किया गया था, जिसमें केंद्र का हिस्सा 2.08 लाख करोड़ रुपये और राज्यों का हिस्सा 1.52 लाख करोड़ रुपये होगा। शुरुआत के बाद से 12.74 करोड़ घरों को कनेक्शन प्रदान करने के लिए कुल 8.29 लाख करोड़ रुपये की लागत वाली 6.41 लाख जल आपूर्ति योजनाओं को मंजूरी दी गई है।
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