Jaisalmer Bus Fire Updates: राजस्थान के जैसलमेर में मंगलवार शाम जब बस कंडक्टर रफीक खान ने अपनी एसी स्लीपर बस के अंदर आग की लपटें देखीं, तो उन्होंने तुरंत कदम उठाया। उन्होंने दरवाजों को खोल दिया और जितने यात्रियों को हो सके, उतने बाहर निकाल दिए। फिर उन्होंने देखा कि छत में आग लग गई है और उन्होंने तेजी से आगे बढ़ना शुरू कर दिया।

जैसलमेर बस अग्निकांड में 15 लोग झुलस गए हैं। बस कंडक्टर रफीक खान भी इनमें शामिल हैं। उनका जोधपुर के डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज में इलाज चल रहा है। इस घटना में 20 लोगों की मौत हो गई थी। उसके भाई इरफान ने मीडिया को बताया, “वह (रफीक) आखिरी सीटों के पास टिकट चेक कर रहा था, तभी अंदर धुआं उठने लगा। वह मेन गेट खोलने के लिए आगे बढ़ा।” इरफान ने आगे कहा, “जैसे ही वह बस के बीच में पहुंचा, छत से आग की लपटें निकलने लगीं और एक धमाका हुआ। वह घायल होकर गिर पड़ा। झुलसी हुई हालत में, वह रेंगता हुआ मेन गेट तक पहुंचा, उसे खोला और कई लोगों को बाहर निकाला।”

बस में लगभग 50 यात्री सवार थे

अधिकारियों ने बताया कि जोधपुर जा रही बस में लगभग 50 यात्री सवार थे। हालांकि, बस में आग लगने की वजह अभी तक सामने नहीं आई है, लेकिन शुरुआती रिपोर्टों से पता चलता है आग बस के पिछले हिस्से से शुरू हुई और तेजी से फैली। स्थानीय लोगों ने लोगों को बचाने में बहुत मदद की। मरीजों को पहले जैसलमेर ले जाया गया और बाद में जोधपुर के डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया।

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डॉ. बीएस जोधा ने बताया, “रात करीब 9 बजे जैसलमेर से 15 मरीज हमारे पास आए। पांच मरीज वेंटिलेटर पर हैं क्योंकि वे 70 प्रतिशत से ज्यादा जल चुके हैं।” उन्होंने आगे कहा, “अन्य मरीज 40-50 प्रतिशत तक जल चुके हैं। तीन को तुरंत वेंटिलेटर पर रखा गया।” अधिकारियों ने बताया कि अभी तक मृतकों की पहचान नहीं हो पाई है। दस शव एसएन मेडिकल कॉलेज और बाकी जोधपुर में मौजूद एम्स में हैं। पुलिस शवों की पहचान के लिए काम कर रही है। जैसलमेर के कलेक्टर प्रताप सिंह ने बताया कि परिवारों के लिए एक हेल्पलाइन शुरू की गई है।

लोग अपनी जान बचाने की कोशिश कर रहे थे- चश्मदीद

चश्मीदों ने बताया कि कई यात्री बस से कूदकर अपनी जान बचाने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन कई नहीं बच पाए। पीर मोहम्मद ने बताया कि वह खिड़की तोड़कर अपनी पत्नी, साली और एक बच्चे को बाहर निकालने में कामयाब रहे, लेकिन ऊपर वाली बर्थ पर सो रहे अपने दो बच्चों को नहीं बचा पाए। उन्होंने मीडिया को बताया, “तब तक आग इतनी तेज हो चुकी थी कि मैं उन्हें बचा नहीं सका। मैं तो बच गया, लेकिन वे जिंदा जल गए।” वहीं परिजनों ने भी डॉक्टर के लेट आने पर काफी गुस्सा जाहिर किया है। यहां क्लिक कर पढ़ें पूरी खबर…