Supreme Court News: कर्नाटक हाईकोर्ट की तरफ से मस्जिद में ‘जय श्री राम’ का नारा लगाने वालों को राहत दिए जाने के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती मिली है। इस याचिका पर शुक्रवार यानी आज 13 दिसंबर को सुनवाई होगी। हाई कोर्ट ने मस्जिद के अंदर नारा लगाने वाले उपद्रवियों के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही को इस आधार पर रद्द कर दिया था कि इससे धार्मिक भावनाएं आहत नहीं होती हैं।

जस्टिस पंकज मिथल और संदीप मेहता की बेंच वकील जावेदुर रहमान के माध्यम से दायर हैदर अली की याचिका पर सुनवाई करेगी। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, याचिकाकर्ता ने बताया कि पिछले साल यानी 24 सितंबर, 2023 को रात करीब 10.50 बजे कुछ लोग ऐथुर गांव में मौजूद जामा मस्जिद में घुसे और धमकी देते हुए जय श्री राम के नारे लगाने लगे। इतना ही नहीं आरोपियों ने कहा कि मुसलमानों को शांति से नहीं रहने दिया जाएगा। याचिकाकर्ता की शिकायत के बाद में पुलिस ने एक्शन लेते हुए दो आरोपियों को अरेस्ट कर लिया था। हालांकि, आरोपियों को बाद में जमानत मिल गई।

आरोपियों ने हाई कोर्ट का किया था रुख

दोनों आरोपियों को जमानत मिलने के बाद में दोनों आरोपियों ने अपने ऊपर लगे आरोपों के संबंध में कर्नाटक हाई कोर्ट का रुख किया। कर्नाटक हाई कोर्ट ने 29 नवंबर 2023 को मामले की सुनवाई के बाद ट्रायल कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी। वहीं इस साल इस मामले में गिरफ्तारी को गलत बताते हुए मामले को ही खत्म कर दिया। याचिकाकर्ता ने कहा कि हाईकोर्ट ने कार्यवाही को रद्द करने में गलती की है क्योंकि पुलिस ने जांच पूरी नहीं की थी। इसलिए कोर्ट के सामने सबूत पेश नहीं किए जा सके।

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याचिकाकर्ता ने आगे कहा कि मस्जिद के अंदर ‘जय श्री राम’ के नारे लगाना सांप्रदायिक तनाव पैदा करने वाले बयानों की कैटेगरी में आता है। तथ्य यह है कि मस्जिद के अंदर ऐसी घटना हुई और मुसलमानों की जान को खतरा है, इसलिए हाई कोर्ट को पुलिस को अंतरिम आदेश पारित किए बिना मामले की जांच पूरी करने की इजाजत देनी चाहिए थी।

कर्नाटक हाई कोर्ट ने क्या कहा था

कर्नाटक हाई कोर्ट ने मस्जिद के अंदर कथित तौर पर जय श्री राम के नारे लगाने के आरोपी दो व्यक्तियों के खिलाफ पुलिस द्वारा दर्ज आपराधिक मामले को खारिज कर दिया गया था। कोर्ट ने कहा कि वह यह नहीं समझ पा रहे हैं कि जय श्री राम के नारे लगाने से किसी समुदाय की धार्मिक भावनाओं को ठेस कैसे पहुंच सकती है। जस्टिस एम नागप्रसन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने आरोपी की अपील की समीक्षा की और अपने फैसले में कहा कि यह साफ नहीं है कि जय श्री राम के नारे लगाने से किसी समुदाय की धार्मिक भावनाएं कैसे आहत हो सकती हैं। पूरे मामले को समझने के लिए यहां क्लिक करें…