पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने एनडीए के उम्मीदवार के तौर पर हाल में ही अपना नामांकन भरा है। जगदीप धनखड़ राजस्थान के झुंझुनू जिले के रहने वाले थे। धनखड़ का जन्म एक किसान परिवार में हुआ था। साल 1951 में जन्में धनखड़ का चित्तौड़गढ़ से भी गहरा नाता रहा है। शुरुआती पढ़ाई के बाद धनखड़ चित्तौड़गढ़ के सैनिक स्कूल में पढ़ाई के लिए आए थे। धनखड़ के राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाए जाने के बाद से इस स्कूल में खुशी का माहौल है। आपको बता दें कि पूर्व सेनाध्यक्ष दलबीर सुहाग भी इसी स्कूल से पढ़कर निकले थे।
जगदीप धनखड़ के उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाए जाने के बाद से यहां के छात्रों के साथ-साथ यहां के शिक्षक भी खुद को गर्वान्वित महसूस कर रहे हैं। राजस्थान तक टीम के रिपोर्टर ने जगदीप धनखड़ के गुरु एचएस राठी से धनखड़ के स्टूडेंट लाइफ के बारे में बातचीत की। इस बातचीत के दौरान राठी जी ने बताया कि धनखड़ बहुत ही काबिल और होशियार स्टूडेंट थे। उन्होंने बताया कि जगदीप धनखड़ साल 1962 में चित्तौड़गढ़ के सैनिक स्कूल में दाखिला करवाया। तब सैनिक स्कूलों में पांचवी क्लास में ही भर्ती होती थी।
अपने सीनियर छात्रों को भी मैथ्स पढ़ा देते थे धनखड़
जगदीप धनखड़ के बड़े भाई कुलदीप धनखड़ भी छठी क्लास में यहीं पढ़ते थे। धनखड़ एक मेधावी छात्र थे जो हर विषय में टॉप करते थे। एचएस राठी ने आगे बताया कि मैथ्स में झुंझुनू साइड के बच्चे बहुत होशियार होते थे। जगदीप धनखड़ भी बहुत ही होशियार छात्र थे वो अपने सीनियर छात्रों को भी मैथ्स पढ़ा दिया करते थे। धनखड़ पढ़ाई के अलावा खेल-कूद में भी बढ़चढ़कर हिस्सा लेते थे। धनखड़ फुटबॉल और हॉकी जैसे खेलों में बहुत शानदार खिलाड़ी थे। इसके अलावा धनखड़ वाद-विवाद प्रतियोगिता सहित स्कूल की लगभग सभी एक्टीविटीज में हिस्सा लिया करते थे।
NDA, IIT और IAS को छोड़कर वकालत चुनी
धनखड़ हर एक्टिविटी में तेज थे उनका चयन एनडीए में हुआ था लेकिन वीक आईसाइट की वजह से नहीं जा पाए। धनखड़ इतने प्रतिभावान थे कि उनके लिए कोई भी परीक्षा पास करना मामुली बात थी धनखड़ का चयन एनडीए के अलावा आईआईटी और सिविल सर्विसेज में आईएएस के लिए भी हुआ था लेकिन उन्होंने सबकुछ छोड़कर वकालत चुनी। वो राजस्थान बार एसोसिएशन के अध्यक्ष भी रहे और सुप्रीम कोर्ट के बड़े वकीलों में धनखड़ की गिनती होती है।
ऐसा रहा धनखड़ का सियासी सफर
धनखड़ ने साल 1989 में पहली बार जनता दल के टिकट पर झुंझुनूं से चुनाव लड़ा। इस चुनाव में वो रिकॉर्ड वोटों से जीते और लोकसभा पहुंचे। धनखड़ को केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह भी मिली। बाद में वो कांग्रेस में चले गए और अजमेर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा लेकिन उन्हें इस चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। फिर वो साल 2003 में बीजेपी में शामिल हुए और उसके बाद उन्होंने राजनीतिक जीवन में कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।