सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) को अगले उपराष्ट्रपति के लिए होने वाले चुनाव में स्पष्ट रूप से बढ़त हासिल है। सोमवार को अचानक जगदीप धनखड़ के उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देने के कारण अब यह चुनाव आवश्यक हो गया है।

उपराष्ट्रपति का चुनाव लोकसभा और राज्यसभा के सदस्यों द्वारा किया जाता है तथा उच्च सदन के मनोनीत सदस्य भी इस चुनाव में मतदान के पात्र होते हैं। 543 सदस्यीय लोकसभा में एक सीट (पश्चिम बंगाल में बशीरहाट) खाली है, जबकि 245 सदस्यीय राज्यसभा में पांच सीट खाली हैं। राज्यसभा की पांच रिक्तियों में से चार जम्मू-कश्मीर से और एक पंजाब से है, जहां संजीव अरोड़ा ने राज्य विधानसभा के लिए पिछले महीने हुए उपचुनाव में निर्वाचित होने के बाद सीट छोड़ दी थी। दोनों सदनों की प्रभावी संख्या 786 है और सभी पात्र मतदाताओं द्वारा अपने मताधिकार का उपयोग करने पर, उपराष्ट्रपति चुनाव में विजयी उम्मीदवार को 394 मतों की जरूरत होगी।

पांच साल के लिए बनेगा उपराष्ट्रपति

भाजपा के नेतृत्व वाली राजग को लोकसभा (542 सदस्य) में 293 सदस्यों का समर्थन प्राप्त है। वहीं, राज्यसभा में सत्तारूढ़ गठबंधन को 129 सदस्यों का समर्थन है, जिसकी प्रभावी संख्या 240 है बशर्ते मनोनीत सदस्य राजग उम्मीदवार के पक्ष में मतदान करें। इस प्रकार सत्तारूढ़ गठबंधन को 786 सदस्यों में से 422 सदस्यों का समर्थन प्राप्त है।

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संविधान के अनुच्छेद 68 के खंड 2 के अनुसार, उपराष्ट्रपति के निधन, त्यागपत्र या पद से हटाए जाने या अन्य किसी कारण से हुई रिक्ति को भरने के लिए चुनाव, पद रिक्त होने के बाद ‘यथाशीघ्र’ कराया जाएगा। रिक्ति को भरने के लिए निर्वाचित व्यक्ति ‘पदभार ग्रहण करने की तिथि से पूरे पांच वर्ष की अवधि तक’ पद धारण करने का हकदार होगा। संविधान के अनुच्छेद 66 (1) के अनुसार उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों के सदस्यों से मिलकर बने निर्वाचक मंडल के सदस्यों द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अनुसार एकल संक्रमणीय मत के माध्यम से किया जाता है।

मनोनीत सदस्य भी करेंगे मतदान

उपराष्ट्रपति के चुनाव में राज्यसभा के मनोनीत सदस्यों को मतदान का अधिकार होता है। उच्च सदन में कुल 12 मनोनीत सदस्य हो सकते है और वर्तमान में ऐसे सदस्यों की संख्या 10 है। यह चुनाव गुप्त मतदान द्वारा होगा। इस प्रणाली में, मतदाता को उम्मीदवारों के नामों के आगे अपनी प्राथमिकताएं अंकित करनी होती हैं। उपराष्ट्रपति का पद देश का दूसरा सर्वोच्च संवैधानिक पद है। उनका कार्यकाल पांच वर्ष का होता है, लेकिन कार्यकाल समाप्त होने के बावजूद, वह तब तक पद पर बने रह सकते हैं जब तक कि उनका उत्तराधिकारी पद ग्रहण नहीं कर ले।

उपराष्ट्रपति के रूप में कौन निर्वाचित हो सकता है: कोई व्यक्ति उपराष्ट्रपति के रूप में तब तक निर्वाचित नहीं हो सकता जब तक कि वह भारत का नागरिक न हो;  35 वर्ष की आयु पूरी न कर चुका हो, व राज्यसभा के सदस्य के रूप में निर्वाचित होने के लिए योग्य न हो। वह व्यक्ति भी पात्र नहीं है, जो भारत सरकार या राज्य सरकार या किसी अधीनस्थ स्थानीय प्राधिकरण के अधीन कोई लाभ का पद धारण करता हो।