भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने बुधवार को एक और ऐतिहासिक कदम उठाया। इसके तहत ISRO ने पृथ्वी की कक्षा में सैटेलाइट RISAT-2B को सफलतापूर्वक स्थापित किया। यह सैटेलाइट बुधवार (22 मई) सुबह 5:30 बजे आंध्र प्रदेश स्थित श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से लॉन्च किया गया। इस सैटेलाइट की मदद से दुश्मनों पर पैनी नजर रखी जा सकेगी। साथ ही, आपदा के वक्त भी इससे मदद मिलेगी।
मंगलवार को शुरू हुआ था काउंटडाउन: जानकारी के मुताबिक, इस अभियान की उल्टी गिनती मंगलवार को शुरू हो गई थी। करीब 25 घंटे की तैयारी के बाद बुधवार सुबह 5:30 बजे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से यह सैटेलाइट लॉन्च कर दिया गया। बताया जा रहा है कि सतीश धवन स्पेस सेंटर ने अपने 48वें मिशन के तहत पहले लॉन्च पैड से पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (PSLV-C46) छोड़ा। इसमें 615 किलो का सैटेलाइट अटैच किया गया था।
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घने बादलों व अंधेरे में भी करेगा काम: इसरो के अधिकारियों के मुताबिक, पहले लॉन्च किए गए रेगुलर रिमोट सेंसिंग या ऑप्टिकल इमेजिंग सैटेलाइट धरती पर हो रही छोटी गतिविधियों की स्पष्ट स्थिति नहीं दिखा पाते हैं। सिंथेटिक अपर्चर रडार (सार) इस कमी को पूरा करेगा। यह किसी भी मौसम में, चाहे घने बादल हों या मूसलाधार बारिश हो। वहीं, रात के अंधेरे में भी नए सैटेलाइट से क्लियर तस्वीरें जारी होंगी। इससे आपदा के समय राहत पहुंचाने और सुरक्षाबलों को दुश्मनों के ठिकानों की सही जानकारी मिलने में सहूलियत होगी।
चंद्रयान-2 की भी दी जानकारी: इसरो के चेयरमैन डॉ. के सिवान ने बताया कि चंद्रयान-2 मिशन भारत के लिए लैंडमार्क मिशन साबित होगा। उम्मीद है कि इसे 9 से 16 जुलाई के बीच लॉन्च कर दिया जाएगा। इसरो के लिए चंद्रयान-2 सबसे चुनौतीपूर्ण मिशन है। यह उस जगह पर भेजा जाएगा, जहां आज तक कोई नहीं पहुंचा है।

