ISRO: भारत में मौसम का पता अब और आसानी से लगाया जा सकेगा। इसको लकेर इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (ISRO) आज वेदर सैलेलाइट को लॉन्च करेगा। इसके लिए स्पेस एजेंसी ऐसे रॉकेट का इस्तेमाल करेगी। जिसे ‘नॉटी बॉय’ के नाम से जाना जाता है। इस रॉकेट की पहचान ‘जियोसिंक्रोनस लॉन्च व्हीकल’ (GSLV) के तौर पर भी है।

इसरो ने कहा कि जीएसएलवी-एफ14 शनिवार शाम 5.35 बजे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से उड़ान भरेगा। यह रॉकेट का कुल मिलाकर 16वां मिशन होगा और स्वदेशी रूप से विकसित क्रायोजेनिक इंजन का उपयोग करके इसकी 10वीं उड़ान होगी।

GSLV रॉकेट के जरिए इसरो की मेट्रोलॉजिकल सैटेलाइट INSAT-3DS को लॉन्च किया जाएगा। अंतरिक्ष में मौजूद रहने वाली ये सैटेलाइट बदलते मौसम के अलावा आने वाली आपदाओं की जानकारी भी वक्त पर देगी।

ISRO की इस नई लॉन्चिंग से जुड़े हर सवाल का जवाब जानते हैं-

  1. ISRO के अनुसार, GSLV रॉकेट का यह 16वां मिशन है और स्वदेशी क्रायोजॉनिक इंजन का इस्तेमाल करते हुए 10वीं फ्लाइट है। GSLV रॉकेट को ‘नॉटी बॉय’ का नाम इसलिए मिला है, क्योंकि इसके फेल होने की दर 40 फीसदी है। इस रॉकेट से अंजाम दिए गए 15 लॉन्च में से 4 फेल हुए हैं।
  2. स्पेस एजेंसी के इस मिशन का सफल होना GSLV रॉकेट के लिए भी बहुत जरूरी है। इसकी वजह ये है कि GSLV रॉकेट के जरिए इस साल पृथ्वी की जानकारी जुटाने वाली सैटेलाइट NISAR को लॉन्च किया जाएगा। इस सैटेलाइट को अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा और इसरो मिलकर तैयार कर रहे हैं।
  3. ‘Naughty Boy’ के नाम से मशहूर जीएसएलवी तीन स्टेज वाला रॉकेट है, जिसकी ऊंचाई 51.7 मीटर है। इस रॉकेट के जरिए 420 टन के भार को अंतरिक्ष में भेजा जा सकता है। रॉकेट भारत निर्मित क्रायोजेनिक इंजन का उपयोग करता है और इसरो कुछ और लॉन्चिंग के बाद इसे रिटायर करने की योजना बना रहा है।
  4. ISRO की INSAT-3DS सैटेलाइट को अंतरिक्ष से वेदर का हाल बताने के लिए लॉन्च किया जा रहा है। INSAT-3DS सैटेलाइट पहले से ही अंतरिक्ष में मौजूद INSAT-3D (जिसे 2013 में लॉन्च किया गया) और INSAT-3DR (जिसे सितंबर 2016 में लॉन्च किया गया) की जगह लेगी।
  5. INSAT-3DS सैटेलाइट का वजन 2,274 किलोग्राम है और इसकी मिशन लाइफ 10 साल है। आसान भाषा में कहें तो ये सैटेलाइट 10 सालों तक इसरो को मौसम में होने वाले हर बदलाव की सटीक जानकारी देती रहेगी।
  6. INSAT-3DS सैटेलाइट को पूरी तरह से तैयार करने के लिए पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की तरफ से फंडिंग मिली। ISRO के जरिए लॉन्च होने वाली इस सैटेलाइट को तैयार करने में कुल मिलाकर 480 करोड़ रुपए खर्च हुए।
  7. INSAT-3DS सैटेलाइट एक बार ऑपरेशनल होने पर जमीन और समुद्र दोनों जगहों पर मौसम की जानकारी दे पाएगी। इसके जरिए तूफान जैसी चरम मौसम की घटनाओं का पता लगा लिया जाएगा। इसके अलावा जंगल की आग, बर्फ का कवर, धुआं और बदलते जलवायु के बारे में भी जानकारी मिलेगी।
  8. PSLV रॉकेट के जरिए लॉन्चिंग के 18 मिनट बाद INSAT-3DS सैटेलाइट को 36,647 किमी x 170 किमी की ऊंचाई पर अंतरिक्ष में स्थापित हो जाएगा। यह पहले लॉन्च की गई सैटेलाइट्स का तीसरा वर्जन है।