अन्नोना दत्त
ISRO: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने शुक्रवार (14 जुलाई) को श्रीहरिकोटा से एलवीएम3-एम4 रॉकेट के जरिए अपने तीसरे चंद्र मिशन चंद्रयान 3 को सफलतापूर्वक लॉन्च किया। 23 अगस्त को अगर इसकी सॉफ्ट लैंडिंग होती है तो संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत इसे हासिल करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा। इसके साथ ही मोदी सरकार के नाम एक और नया रिकॉर्ड होगा।
मोदी सरकार की बात करें तो इसरो ने इस सरकार में अब 47 मिशनों को लॉन्च किया है। इसकी तुलना में इसरो ने मनमोहन सिंह की सरकार के दौरान 24, अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के दौरान छह और पी वी नरसिम्हा राव सरकार के दौरान पांच मिशन को लॉन्च किया था। इस लिहाज से कहा जा सकता है कि मोदी सरकार ने अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में काफी प्रगति की है।
1962 में शुरू हुआ भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम
भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम 1962 में जवाहरलाल नेहरू सरकार द्वारा INCOSPAR (अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए भारतीय राष्ट्रीय समिति) की स्थापना के साथ शुरू किया गया था, जो सात साल बाद इंदिरा गांधी शासन के दौरान इसरो बन गया।
पिछले नौ वर्षों की बात करें तो इसरो द्वारा किए गए 47 लॉन्च मिशनों में से केवल तीन उपग्रह अपनी कक्षाओं में स्थापित नहीं होने में विफल रहे। जबकि 22 जुलाई, 2019 को लॉन्च किए गए चंद्रयान 2 मिशन ने सफलतापूर्वक उड़ान भरी और चंद्रमा के चारों ओर एक ऑर्बिटर स्थापित किया, लेकिन यह चंद्रमा की सतह पर नरम लैंडिंग के लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर सका।
मोदी सरकार में अंतरिक्ष मिशनों में आई तेजी
अंतरिक्ष मिशनों की गति में तेजी का श्रेय अंतरिक्ष विभाग के केंद्रीय राज्य मंत्री, जितेंद्र सिंह मोदी सरकार को देते हैं। वो कहते हैं कि मोदी सरकार ने अंतिरक्ष मिशन को लेकर अधिक संसाधन और एक मजबूत नीति, परिवेश प्रदान किया। इस साल इसरो के पैक्ड कैलेंडर के बारे में पूछे जाने पर सिंह ने कहा, ‘पहले हम सीमित मैनपावर, सीमित संसाधनों के साथ काम कर रहे थे। दूसरों को भाग लेने की अनुमति नहीं दे रहे थे। धन आवंटित नहीं कर रहे थे। सरकार मिशन के लिए धनराशि नहीं दे रही थी। इसलिए हम खुद को असहाय महसूस कर रहे थे।
लॉन्च व्हीकल के निर्माण के लिए उद्योग साझेदारी बढ़ाने के अलावा, इसरो ने हाल के वर्षों में मिशनों के बीच के समय को कम करने के लिए पीएसएलवी एकीकरण सुविधा स्थापित करने जैसे बदलाव भी किए हैं। इससे पहले पीएसएलवी व्हीकल के विभिन्न चरणों को लॉन्च पैड पर असेंबल किया जाता था। अब, इसे नई सुविधा में एकीकृत किया गया है और फिर लॉन्च पैड पर लाया गया है।
मनमोहन सिंह सरकार के तहत 2004-2014 के दौरान इसरो द्वारा किए गए 24 अंतरिक्ष मिशनों में देश के दो सबसे प्रतिष्ठित वैज्ञानिक मिशन – चंद्रयान 1 और मंगलयान शामिल हैं। 2008 में लॉन्च किया गया चंद्रयान 1 मिशन, चंद्रमा की सतह पर पानी के अणुओं का पता लगाने में सहायक था।
मार्स ऑर्बिटर मिशन (एमओएम) या मंगलयान 5 नवंबर, 2013 को लॉन्च किया गया था। 300 दिनों की यात्रा पूरी करने के बाद इसे 24 सितंबर, 2014 को मंगल ग्रह की कक्षा में स्थापित किया गया था। इसने अंतरग्रही मिशनों के लिए भारत की क्षमता का प्रदर्शन किया था। उस समय, संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी ही मंगल की कक्षा में पहुंचे थे।
मोदी सरकार के कार्यकाल में एस्ट्रोसैट नामक अंतरिक्ष दूरबीन लॉन्च की गई, जिसका डेटा दुनिया भर के वैज्ञानिक इस्तेमाल करते हैं। उपग्रह-विरोधी हथियार और पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण यान की स्वायत्त लैंडिंग का भी प्रदर्शन किया गया है। वहीं पहले मानवरहित गगनयान मिशन और पहले सौर आदित्य एल1 मिशन की भी तैयारी चल रही है, जिनके इस साल लॉन्च होने की संभावना है।
जानिए केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने क्या कहा?
Chandrayaan 3 Launch के सफलता पूर्वक लांच होने पर केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा था कि यह आत्मनिर्भर भारत के मंत्र पर खरा उतर रहा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में कहा था कि सफलता की कोई सीमा नहीं है और मुझे लगता है कि चंद्रयान ब्रह्मांड के अज्ञात क्षितिजों का पता लगाने के लिए आकाश की सीमा से आगे निकल गया है।
सिंह ने इसरो के संस्थापक और भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक कहे जाने वाले दिवंगत विक्रम साराभाई की सराहना करते हुए कहा कि यह दिन उस सपने का संकेत है जो विक्रम साराभाई ने छह दशक पहले देखा था। उनके पास संसाधनों की भले ही कमी रही हो, लेकिन आत्मविश्वास की कभी कमी नहीं थी। केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने बताया कि चंद्रयान-3 परियोजना की लागत लगभग 600 करोड़ रुपये है। उन्होंने आगे पीएम मोदी का धन्यवाद व्यक्त किया और कहा कि उन्होंने श्रीहरिकोटा के द्वार खोलकर भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र को सक्षम करके इसे संभव बनाया है।