भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के सबसे छोटे उपग्रह SSLV ने बीते शुक्रवार को उड़ान भरी। SSLV ने तीसरी और अंतिम महत्वपूर्ण उड़ान में EOS-08 और SR-0 उपग्रहों को 475 किलोमीटर की गोलाकार कक्षा में स्थापित किया। इसके साथ ही SSLV को इसरो के ऑपरेशन लॉन्चिंग यान के बेड़े में शामिल कर लिया जाएगा। अब आने वाले समय में बड़ी संख्या में कमर्शियल फ्लाइट्स के लिए इस व्हीकल की टेक्नॉलॉजी प्राइवेट सेक्टर को ट्रांसफर की जाएगी।
SSLV की सफल लॉन्चिंग के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरी टीम को बधाई दी है। पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर बधाई देते हुए लिखा, “एक उल्लेखनीय उपलब्धि! इस उपलब्धि के लिए हमारे वैज्ञानिकों और उद्योग जगत को बधाई। यह बेहद खुशी की बात है कि भारत के पास अब एक नया लॉन्च व्हीकल है। कॉस्ट इफेक्टिव SSLV अंतरिक्ष मिशनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा और प्राइवेट इंडस्ट्री को भी प्रोत्साहित करेगा।”
क्या बोले इसरो चेयरमैन
इसरो चेयरमैन एस सोमनाथ ने कहा कि SSLV की इस तीसरी फ्लाइट के साथ हम यह घोषणा कर सकते हैं कि डेवलपमेंट प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। हम सीरियल प्रोडक्शन और SSLV के कमर्शियल आधार पर लॉन्च के लिए टेक्नॉलॉजी को प्राइवेट सेक्टर को ट्रांसफर करने की प्रक्रिया में हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इसके अलावा हम VTM स्टेज में कुछ गतिविधियों को भी देख रहे हैं। यह सब समय पर पूरा हो जाएगा।
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क्या है VTM?
वीटीएम या वेलोसिटी ट्रिमिंग मॉड्यूल रॉकेट का लॉस्ट लिक्विड प्रोपेलेंट बेस्ड स्टेज है, इसका इस्तेमाल सेटेलाइट्स को ऑर्बिट में इंजेक्ट कराने से ठीक पहले वेलोसिटी को सही करने के लिए किया जाता है। यह वह स्टेज थी जो सेंसर की पिछली गलत रीडिंग के कारण SSLV की पहली डेवलपमेंट फ्लाइट के दौरान शुरू नहीं हुई थी। इसके कारण सेटेलाइट्स को अनस्टेबल ऑर्बिट में इंजेक्ट करवाया गया था।
हालांकि शुक्रवार को टेक्स्ट बुक लॉन्च था। सोमनाथ ने बताया कि रॉकेट ने प्लान के अनुसार, सेटेलाइट को प्रिसाइज ऑर्बिट में स्थापित किया। उन्होंने बताया कि इंजेक्शन कंडिशन्स में कोई अंतर नहीं है। ट्रैकिंग के बाद फाइनल ऑर्बिट का पता चल सकेगा।