चंद्रयान-3 के चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग के साथ ही भारत ऐसा करने वाला पहला देश बन गया। चंद्रयान-3 द्वारा चांद की सतह की तस्वीरें और उससे जुड़ी जानकारियां भेजने के बाद अब विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर लगभग दो हफ्ते से डीप स्लीप मोड में हैं। देश को अब चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान के एक्टिव होने का इंतजार है। केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने कल संसद में कहा कि ऐसा होने पर भारत यह उपलब्धि हासिल करने वाला दुनिया का पहला देश बन जाएगा।

विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर पर इसरो के पूर्व चेयरमैन के सिवान ने कहा, “हमें इंतजार करना होगा और देखना होगा। यह चांद पर एक रात गुजार चुका है। अब वहां दिन शुरू हो गया है इसलिए अब वे जागने की कोशिश करेंगे। अगर सभी प्रणालियां ठीक काम करने लगे तो सब ठीक होगा।” उन्होंने कहा कि यह अंत नहीं है और भी बहुत कुछ नया विज्ञान आएगा। अभी भी चंद्रयान-1 का डेटा बहुत सारी खोजें लेकर आया है इसलिए मुझे उम्मीद है कि बहुत कुछ नया आएगा, वैज्ञानिक प्रयास करते रहेंगे। यह कहानी का अंत नहीं है।

दो हफ्ते से डीप स्लीप में हैं विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर

इसरो के पूर्व चेयरमैन जी माधवन नायर ने भी कहा, “विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर लगभग दो हफ्ते से डीप स्लीप में हैं। यह लगभग फ्रीजर से कुछ जांचने और फिर उसका उपयोग करने की कोशिश करने जैसा है। तापमान -150 डिग्री सेल्सियस के आसपास हो गया होगा।” उन्होंने कहा कि उस तापमान पर बैटरी, इलेक्ट्रॉनिक्स कैसे जीवित रहते हैं यह वास्तव में चिंता का विषय है। बेशक, यह स्थापित करने के लिए जमीन पर पर्याप्त परीक्षण किए गए हैं कि यह ऐसी स्थिति के बाद भी काम करेगा। फिर भी हमें अपना ध्यान रखना होगा और सबकुछ सही होने की दुआ करनी होगी।

वैज्ञानिक ने कहा कि सोलर हीट उपकरणों और चार्जर बैटरियों को भी गर्म कर देगा। अगर ये दोनों शर्तें सफलतापूर्वक पूरी हो जाती हैं, तो यह काफी अच्छा मौका है कि सिस्टम फिर से चालू हो जाएगा। एक बार यह चालू हो जाए, तो यह काफी संभव है कि हम अगले 14 दिनों में कुछ और दूरी तक घूम सकता है और चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास चंद्रमा की सतह पर अधिक डेटा एकत्र कर सकता है।”

चांद पर 14 दिन की एक रात

चांद पर 14 दिन की रात खत्म होने वाली है और वहां भोर होने का समय है। केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने जानकारी दी कि वहां सोलर बैटरी की व्यवस्था है, जो चंद्रमा पर सूर्योदय होते ही चार्ज होने लगेंगी। उन्होंने कहा कि हम सबको उम्मीद है कि उन बैटरी से वेक अप सर्किट एक्टिव होना चाहिए।

वहीं, दूसरी ओर एमेच्योर एस्ट्रोनॉमर स्कॉट टाइली ने दावा किया है कि यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ESA) के कोरोउ स्पेस स्टेशन से Chandrayaan-3 के लैंडर विक्रम को लगातार संदेश भेजा जा रहा है। पर लैंडर की तरफ से जो रेसपॉन्स आ रहा है वो बेहद कमजोर है। उसके पास से जैसी मजबूत रेडियो फ्रिक्वेंसी निकलनी चाहिए, वो नहीं निकल रही है।

सिग्नल में आ रहा उतार-चढ़ाव

स्कॉट ने X (ट्विटर) पर लिखा, “बुरी खबर, चंद्रयान-3 के चैनल पर 2268 मेगाहर्ट्ज का उत्सर्जन हो रहा है। यह एक कमजोर बैंड है। यानी चंद्रयान-3 के लैंडर से अभी तक किसी तरह का मजबूत सिग्नल नहीं मिला है। वह लगातार ऑन-ऑफ सिग्नल भेज रहा है।” स्कॉट ने लिखा, चांद से आ रहे सिग्नल कभी स्थिर हैं। कभी उछल रहे हैं। कभी एकदम गिर जा रहे हैं। जबकि कोरोउ से भेजा गया सिग्नल स्थिर है। विक्रम लैंडर का ट्रांसपोंडर RX फ्रिक्वेंसी का है। उसे 240/221 की दर की फ्रिक्वेंसी पर काम करना चाहिए। लेकिन वह 2268 मेगाहर्ट्ज का सिग्नल दे रहा है। जो स्थिर नहीं है।

फिलहाल यूरोपियन स्पेस एजेंसी और इसरो दोनों ने ही इस बात की पुष्टि नहीं की है कि चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर जाग गए हैं या नहीं। विक्रम लैंडर शिव शक्ति प्वाइंट पर जहां है, वहां सूरज की रोशनी पहुंच चुकी है।

शिव शक्ति प्वाइंट पर सुबह 20 सितंबर को हो गई चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव से 600 km दूर मौजूद शिव शक्ति प्वाइंट पर 20 सितंबर को सुबह हो गई थी। सूरज की रोशनी जो अगले 14-15 दिनों तक रहेगी। फिलहाल विक्रम लैंडर का रिसीवर ऑन है, बाकी सारे यंत्र बंद है। 22 सितंबर को इसरो वैज्ञानिक फिर से विक्रम लैंडर से संपर्क साधने का प्रयास करेंगे। तब तक लैंडर के अंदर लगी बैटरी चार्ज हो जाएगी और सारे यंत्र एक्टिव हो चुके होंगे। विक्रम लैंडर को 4 सितंबर 2023 को सुला दिया गया है। उसके सारे पेलोड्स बंद कर दिए गए थे।