आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (ISIS) के लिए भर्ती करने वाले भारतीय एजेंट JNU अध्यक्ष कन्हैया कुमार की गिरफ्तारी के बाद भड़की छात्र हिंसा का फायदा उठाकर देश में दंगे करवाना चाहते थे। इस बात की जानकारी उन तीन कथित एजेंट्स ने दी है जिनपर आईएस के लिए भर्तियां करने का आरोप है।
जिन तीन लोगों से यह जानकारी मिली है उनका नाम आशिक अहमद उर्फ राजा, मोहम्मद अब्दुल अहद और मोहम्मद अफजल है। ये तीनों आईएस के संगठन जुनुद अल खलीफा-ए-हिंद (JKH) से जुड़े थे।
19 फरवरी 2016 को कन्हैया कुमार को तिहाड़ जेल भेजे जाने के बाद देश के कुछ विश्वविद्यालयों में इसके खिलाफ आंदोलन चले थे। आंदोलन कर रहे छात्रों की मांग थी कि कन्हैया को रिहा किया जाए। एनआईए के मुताबिक, आईएस से जुड़े अहमद अली नाम के शख्स ने 19 साल के आशिक अहमद उर्फ राजा को इन आंदोलनों का फायदा उठाकर गाड़ियों के साथ-साथ पेट्रोल टैंकर्स में आग लगाने की बात कही थी।
वहीं, एजेंसी को शक है कि अहमद अली और कोई नहीं बल्कि शफी अरमर ही था, जो कि हाल में यूएस ड्रोन हमले में मारा गया। शफी को आईएस का इंडिया का हेड बताया जाता रहा है।
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आशिक, पश्चिम बंगाल के हुगली का रहने वाला है। उसे 22 फरवरी को एनआईए ने पकड़ा था। आशिक ने बताया कि वह जिहाद की तरफ अपनी हिंदू गर्लफ्रेंड से ब्रेकअप के बाद चल पड़ा था। आशिक ने बताया कि उसकी गर्लफ्रेंड उसके लिए अपना धर्म बदलने के लिए तैयार नहीं थी।
आशिक ने कहा, ‘मैंने अहमद से पिस्टल मांगी और उसे इंप्रेस करने के लिए अपने घर के पास वाले मंदिर की एक फोटो भी भेजी। मैंने कहा कि हम लोग वहां पर ब्लास्ट कर सकते हैं। पर, बदले में उसने कहा कि वे इतना छोटा काम नहीं करते।’
आशिक ने बताया कि अहमद अली ने उससे 19 फरवरी को पहली बार किसी सोशल मीडिया ऐप के जरिए बात की थी। अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, आशिक ने कहा, ‘उसने मुझे कहा कि देश में छात्रों का एक आंदोलन चल रहा है जिसमें घुसकर हमें गाड़ियों, तेल के ट्रकों को आग लगा देनी चाहिए।’
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आशिक ने बताया कि अहमद ने उससे कहा था कि वे लोग पहले शियाओं को मारेंगे। उनकी प्लानिंग इंडियन मुजाहिद्दीन के चीफ यासीन भटकल को छुड़वाने की भी थी। आशिक ने बताया कि उसे जासूसी करना, तैरना और नक्शे बनाने की ट्रेनिंग लेने के लिए कहा गया था।
वहीं, अहद ने यूएस से सांइस में ग्रेजुएशन किया था। अहद सिंगापुर के अलावा सऊदी अरब और यूएई में भी काम कर चुका था। उसने बताया कि वह दिसंबर 2014 में आईएस के संपर्क में आया था। जिसके बाद वह हालात का जायजा लेने के लिए टर्की होते हुए सीरिया जाना चाहता था। उसका कहना है कि वह वहां पहुंचकर एक एनजीओ खोलकर असहाय लोगों की मदद करना चाहता था पर उसे पकड़कर भारत ले आया गया।