पर्यावरण मंत्रालय के एक ताजा प्रस्ताव से मुंबई के कल्याण में प्रस्तावित सीमेंट ग्राइंडिंग यूनिट को बड़ी राहत मिल सकती है। मंत्रालय की तरफ से 26 सितंबर को जारी हुए ड्राफ्ट नोटिफिकेशन में ‘एकल सीमेंट ग्राइंडिंग यूनिट जिसमें कैप्टिव पॉवर प्लांट न हो’ को अग्रिम पर्यावरण मंजूरी लेने की बाध्यता से छूट दी गयी है।
अगर इस प्रस्ताव को मंजूरी मिल जाती है, तो अडानी ग्रुप के प्रस्तावित सीमेंट प्लांट की स्थापना में आसानी होगी। अडानी समूह द्वारा प्रस्तावित इस प्लांट की लागत 1400 करोड़ रुपए होगी और इससे साठ लाख मिट्रिक टन सीमेंट का प्रति वर्ष उत्पादन किया जा सकेगा। इस प्लांट का निर्माण मुंबई के कल्याण में प्रस्तावित है। यह प्लांट अंबुजा सीमेंट लिमिटेड का है, जो अडानी ग्रुप कंपनी का एक हिस्सा है। अब अडानी ग्रुप को राहत जरूर मिलती दिख रही है, लेकिन इस प्रोजेक्ट को लेकर कल्याण के स्थानीय लोगों में काफी नाराजगी है। 15 सितंबर को इंडियन एक्सप्रेस में स्थानीय निवासियों से मिलकर उनकी नाराजगी समझने की कोशिश की।
अब लोगों की सबसे बड़ी चिंता यह है कि अगर यह संयंत्र पूरी तरह सक्रिय हो जाता है, तो पर्यावरण पर इसका गहरा प्रभाव पड़ेगा। प्रदूषण बढ़ने की संभावना है और लोगों को भी स्वास्थ्य संबंधी कई बीमारियाँ हो सकती हैं। इसी वजह से लोग सवाल पूछ रहे हैं कि आखिर सरकार इस प्रकार के प्रोजेक्ट को इतनी घनी आबादी वाले इलाके में काम करने की इजाजत कैसे दे सकती है।
लेकिन जो ड्राफ्ट नोटिफिकेशन अभी सामने आया है, उसमें तर्क दिया गया है कि जो स्टैंडअलोन ग्राइंडिंग यूनिट होते हैं, वे दूसरे प्लांट की तुलना में कम प्रदूषण करते हैं। ऐसे में उनके लिए एक विस्तृत Environmental Impact Assessment रिपोर्ट की जरूरत नहीं पड़ेगी।
अधिकारी तर्क दे रहे हैं कि जो प्लांट कल्याण में लगने जा रहा है, वह कैल्सीनेशन और क्लीकराइजेशन जैसी दो प्रक्रियाओं से होकर नहीं गुजरता। पहले कैल्सीनेशन का मतलब होता है रॉ मैटेरियल को गर्म करना, वहीं दूसरी प्रक्रिया का मतलब होता है सीमेंट को छोटे टुकड़ों में तोड़ देना। लेकिन क्योंकि यह दोनों ही प्रक्रिया यहां नहीं होने वाली हैं, ऐसे में कहा जा रहा है कि कार्बन उत्सर्जन कम होगा और वेस्ट जेनरेशन भी कम देखने को मिलेगा। इसके अलावा, कहा जा रहा है कि रॉ मटेरियल का ट्रांसपोर्टेशन रेलवे या फिर ई-वाहन के जरिए किया जाएगा, जिससे प्रदूषण में कमी आएगी।
वैसे रॉ मटेरियल का रेलवे के जरिए ट्रांसपोर्ट होना लाजमी बताया जा रहा है, क्योंकि जिस प्लांट को लगाया जा रहा है, वो रेलवे स्टेशन के सामने प्रस्तावित है। इस मामले में अडानी ग्रुप की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। इस विवाद को लेकर ग्राम पंचायत मंडल मोहने कोलीवाडा के अध्यक्ष सुभाष पाटिल ने कहा है, “हम नहीं समझते कि सरकार ने यह अच्छा कदम उठाया है। हम अभी ड्राफ्ट को विस्तृत तरीके से पढ़ेंगे और फिर आम सहमति बनाकर फैसला होगा कि आगे क्या करना चाहिए।”
एक अधिकारी के मुताबिक, ड्राफ्ट को लेकर लोगों के जो भी सुझाव या आपत्तियां हैं, वे 60 दिन के भीतर दे सकते हैं। उसके बाद ही कोई फाइनल कॉल ली जाएगी। नियमों के तहत ही काम होगा। इस प्रोजेक्ट को लेकर बताया जा रहा है कि यह 26.3 हेक्टेयर जमीन पर बनाया जाएगा। यहां 9.67 हेक्टेयर को ग्रीन बेल्ट के रूप में विकसित किया जाएगा, जबकि 5.49 हेक्टेयर की जमीन का इस्तेमाल ग्राइंडिंग यूनिट के इंस्टॉलेशन, स्टोरेज फैसिलिटी और पैकिंग प्लांट के लिए किया जाएगा।
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