Indian Railways में आने वाले दिनों में बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे। दरअसल रेलवे कई ऐसे महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है, जिनसे रेलवे की काया पलट हो जाएगी। इसमें देश के 6 हजार रेलवे स्टेशनों को वाईफाई से लैस करना, प्राइवेट पैसेंजर ट्रेन चलाना और कोच फैक्ट्रियों को निजी हाथों में सौंपने जैसे फैसले शामिल हैं।
इन 2 प्रोजेक्ट्स पर हुआ है कामः इकॉनोमिक टाइम्स की एक खबर के अनुसार, रेलवे विभाग अपने आप में 6 बड़े बदलाव करने जा रहा है। इन बदलावों को केन्द्र सरकार से हरी झंडी मिल चुकी है और खास बात ये है कि मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के शुरुआती 100 दिनों में ये बदलाव पूरे होने थे। हालांकि खबर के अनुसार, अभी तक 6 में से सिर्फ 2 प्रोजेक्ट पर ही काम आगे बढ़ा है। इनमें दिल्ली-कोलकाता और दिल्ली-मुंबई के बीच के रुट पर ट्रेनों की गति 130 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से बढ़ाकर 160 किलोमीटर प्रतिघंटा करना और दो ट्रेनों को प्राइवेट तौर पर संचालन के लिए IRCTC को सौंपना शामिल है।
ये प्रोजेक्ट भी होंगे लागूः रेलवे में बदलाव के लिए जिन अन्य 4 प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है, उनमें देश की 2,568 मानव रेलवे क्रॉसिंग को साल 2023 तक खत्म करना शामिल है। इसके लिए सरकार इन रेलवे क्रॉसिंग पर ओवरब्रिज या अंडरपास का निर्माण करेगी, जिसपर 50,000 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है। फिलहाल यह प्रस्ताव मंजूरी के लिए वित्त मामलों की कैबिनेट कमेटी के पास भेजा जा चुका है।
इसके साथ ही रेलवे 6,485 स्टेशनों पर वाईफाई की सुविधा उपलब्ध कराएगा। हालांकि यह काम इस साल 31 अगस्त तक होना था, लेकिन अभी तक 3,767 स्टेशनों पर वाईफाई की सुविधा मिल रही है। इसके साथ ही रेलवे अपनी 7 प्रोडक्शन यूनिटों को PSU सेक्टर में तब्दील करना चाहता है। हालांकि इस फैसले के विरोध में रेलवे की ट्रेड यूनियन विरोध में उतर आयी हैं। इसके साथ ही रेलवे अपने सिग्नलिंग सिस्टम को भी एडवांस करने की योजना पर काम कर रहा है। जिससे रेलवे में सुरक्षा बढ़ सकेगी और समय की भी बचत होगी।
बता दें कि अपने बजट भाषण में केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि साल 2018 से 2030 के बीच रेलवे को इंफ्रास्ट्रक्चर बेहतर करने के लिए 50 लाख करोड़ रुपए की जरुरत होगी। अब इतनी बड़ी तादाद में पैसे की जरुरत को देखते हुए भी रेलवे अपने दरवाजे निजीकरण के लिए खोल रहा है।