IRCTC Indian Railways: सबअर्बन रेलवे सिस्टम के विकास को रफ्तार देने की दिशा में काम करने के लिए रेलवे बोर्ड ने महत्वपूर्ण कदम उठाया है। मंगलवार (30 जुलाई, 2019) को रेलवे बोर्ड के सदस्यों ने कहा कि लोकल ट्रेनों की स्पीड में बीस फीसदी तक की बढ़ोतरी होने की संभावना है। दरअसल रेलवे की इस पहल का उद्देश्य सेंट्रल रेलवे और वेस्टर्न रेलवे दोनों को सबअर्बन (उपनगरीय) रूट्स पर अतिरिक्त ट्रेनें चलाने में सक्षम बनाना है।
बता दें कि वर्तमान में ट्रेनें इस रूट से 80-100 की औसत स्पीड पर अपनी यात्रा तय करती हैं। हालांकि इतनी रफ्तार के लिए भी ट्रेन के रूट पर निर्भर करता है कि सिगनल ग्रीन मिले। मामले में रेलवे बोर्ड रोलिंग स्टॉक के सदस्य राजेश अग्रवाल ने बताया, ‘हम तीन चरणों में रेलवे की स्पीड में सुधार देख रहे हैं। पहले चरण में लोकल ट्रेनों की स्पीड 110 या इससे ज्यादा प्रति घंटा किलोमीटर की जाएगी।’
राजेश अग्रवाल के मुताबिक दूसरे चरण में रेलवे की योजना मुंबई-नासिक, मुंबई-पुणे और भुसावल-नासिक के बीच MEMU सेवाओं की शुरुआत करने की है। इसमें दो घंटे के भीतर दोनों गंतव्य के बीच की यात्रा को पूरा करने का मकसद है। बता दें कि राष्ट्रीय स्तर पर रेलवे निजी ऑपरेटर द्वारा आंशिक रूप से संचालित होने वाली पहली ट्रेन चलाएगा। तीसरे चरण ट्रैक और बुनियादी ढांचे के काम को उन्नत के लिए है।
अग्रवाल ने बताया ट्रेनों की रफ्तार बढ़ने की वजह से ट्रेनों की आवाजाही में बीस फीसदी की बढ़ोतरी हो सकेगी। इससे अधिक यात्री अपने गंतव्य तक पहुंच सकेंगे। रेलवे बोर्ड के सदस्यों को उम्मीद है कि ट्रेन की रफ्तार बढ़ने के बाद सेंट्रल रेलवे और वेस्टर्न रेलवे पर ट्रेनों की सर्विस में बीस फीसदी की बढ़ोतरी होगी। हालांकि रेलवे से जुड़े अधिकारियों का मानना है कि रफ्तार बढ़ाने से ट्रेनों की सर्विस में 5 से 7 फीसदी की ही बढ़ोतरी हो सकेगी। जानना चाहिए कि सेंट्रल रेलवे जहां 1774, वहीं वेस्टर्न रेलवे रोजाना 1367 ट्रेनों का संचालन करता है।