INX media case: आईएनएक्स मीडिया कथित घोटाला मामले में पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। उन्होंने याचिका में उनको मिली 26 अगस्त तक सीबीआई रिमांड का विरोध किया है। शुक्रवार (23 अगस्त 2019) को सुनवाई के दौरान जज के सामने कोर्टरूम में चिदंबरम के वकील और सॉलिसिटर जनरल (एसजी) के बीच तीखी नोंकझोंक देखने को मिली। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता जज को एक पेपर देना चाहते थे लेकिन चिदंबरम के वकील कपिल सिब्बल ने उन्हें ऐसा करने से मना किया। सिब्बल ने इस दौरान कहा कि कोर्ट में इस तरह से फर्जी कागज पेश नहीं किए जाते।

दअरअसल कोर्ट में बहस खत्म होने ही वाली थी तभी सॉलिसिटर जनरल जज को कुछ पेपर देने की तैयारी में थे। जैसे ही सिब्बल ने उन्हें देखा उन्होंने तुरंत इस पर आपत्ति जताई। सिब्बल के आपत्ति जताते ही दोनों के बीच तीखी बहस हुई। सिब्बल ने इन पेपर्स को मनगढ़ंत (फर्जी) करार दिया।

इस दौरान हाई कोर्ट में चिदंबरम की जमानत याचिका खारिज होने का आदेश पास होने से पहले तुषार मेहता द्वारा जज को दिए पेपर्स पर भी चिदंबरम के वकील ने सवाल खड़े किए। सिब्बल ने कहा कि ‘हाई कोर्ट में बहस खत्म होने के बाद सॉलिसिटर जनरल ने जस्टिस गौर को कुछ पेपर्स दिए। लेकिन इस पर हमें जवाब देने का मौका तक नहीं दिया गया।’ एसजी तुषार मेहता ने सिब्बल की इन दलीलों पर कहा ‘झूठी बयानबाजी मत कीजिए, मैंने पेपर्स बहस खत्म होने के बाद नहीं दिए थे।’

सिब्बल ने कहा, ‘दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले में कई चीजें शब्दश: हैं। अल्पविराम, पूर्ण विराम, सब कुछ कॉपी है। इसलिए वह नोट चिदंबरम की जमानत खारिज करने का आधार बना।’ वहीं एसजी ने कहा कि ‘चिदंबरम को जमानत न दी जाए, टेलिविजन पर चिल्ला चिल्लाकर बदले का माहौल बनाया जा रहा है। जब आरोपी कस्टडी में हैं तो अंतरिम जमानत की किसी तरह बात ही नहीं होती है।’ इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्ष की दलीलें सुनने के बाद इस मुद्दे पर सुनवाई सोमवार तक के लिए स्थगित कर दी।

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मालूम हो कि आईएनएक्स मीडिया घोटाला मामले में सीबीआई और ईडी का आरोप है कि 13 मार्च, 2007 को आईएनएक्स मीडिया ने फॉरेन इन्वेस्टमेंट प्रमोशन बोर्ड (एफआईपीबी) से 4.62 करोड़ रुपए के विदेशी निवेश की अनुमति मांगी। यह विदेशी निवेश मॉरिशस की तीन कंपनियों से आना था। इसके अलावा आईएनएक्स मीडिया में अन्य स्त्रोतों से डाउनस्ट्रीम इन्वेस्टमेंट की भी अनुमति मांगी गई।

30 मई, 2007 को एफआईपीबीने आईएनएक्स मीडिया को 4.62 करोड़ रुपए के विदेशी निवेश की अनुमति दे दी, लेकिन डाउनस्ट्रीम इन्वेस्टमेंट से आने वाले विदेशी निवेश के प्रस्ताव को खारिज कर दिया। सीबीआई का आरोप है कि आईएनएक्स मीडिया ने इस 4.62 करोड़ रुपए के विदेशी निवेश की मंजूरी लेकर 305 करोड़ रुपए का विदेशी निवेश लिया। इसके साथ ही आईएनएक्स मीडिया ने अपनी सहयोगी कंपनियों से 26 प्रतिशत डाउनस्ट्रीम इन्वेस्टमेंट भी लिया।